मूल कमल दृढ आसन बाँधु जी
उलटी पवन चढ़ाऊंगा
मन ममता को थिर कर लाऊँ जी
पाँचों तत्व मिलाऊँगा
इंगला पिंगला सुखमन नाड़ी जी
त्रिवेणी पे हाँ न्हाऊंगा
पांच पचीसों पकड़ मंगाऊं जी
एक ही डोर लगाऊंगा
शून्य शिखर पर अनहद बाजे जी
राग छतीस सुनाऊंगा
कहत कबीरा सुनो भाई साधो जी
जीत निशान धुराऊँगा
निर्भय निर्गुण गुण रे गाऊंगा मूल-कमल दृढ़-आसन बांधूं जी उल्टी पवन चढ़ाऊंगा ।। निर्भय निर्गुण ।।
मन-ममता को थिर कर लाऊं जी पांचों तट मिलाऊंगा जी निर्भय निर्गुण ।। इंगला-पिंगला-सुखमन नाड़ी त्रिवेणी पे हां नहाऊंगा निर्भय-निर्गुण ।। पांच-पचीसों पकड़ मंगाऊं-जी एक ही डोर लगाऊंगा निर्भय निर्गुण ।। शून्य-शिखर पर अनहद बाजे जी राग छत्तीस सुनाऊंगा निर्भय निर्गुण ।। कहत कबीरा सुनो भई साधो जी जीत निशान घुराऊंगा ।
Kabir Bhajan Lyrics in Hindi
निर्भय-निर्गुण ।।
Nirbhay Nirgun Gun Re Gaaunga | निर्भय निर्गुण गुण रे गाऊंगा | Sadhguru Darshan Song | Kabir Song
Nirbhay Nirgun Gun Re Gaoonga Mool Kamal Drdh Aasan Baandhu Jee Ulatee Pavan Chadhaoonga
Man Mamata Ko Thir Kar Laoon Jee Paanchon Tatv Milaoonga
Ingala Pingala Sukhaman Naadee Jee Trivenee Pe Haan Nhaoonga
Paanch Pacheeson Pakad Mangaoon Jee Ek Hee Dor Lagaoonga
Shoony Shikhar Par Anahad Baaje Jee Raag Chhatees Sunaoonga