धीरे धीरे रे मना,
और धीरे सब कुछ होए
माली सींचे सौ घड़ा,
ऋतु आये फल होए
ज़रा हल्के गाड़ी हांको,
मेरे राम गाड़ी वाले
ज़रा धीरे धीरे गाड़ी हांको,
मेरे राम गाड़ी वाले
ज़रा हलके गाड़ी हांको
गाड़ी मेरी रंग रंगीली,
पईया है लाल गुलाल
हांकन वाली छैल छबीली,
बैठन वाला राम, ओ भईया
ज़रा हलके गाड़ी हांको
गाड़ी अटकी रेत में
और मजल पड़ी है दूर
इ धर्मी धर्मी पार उतर गया
ने पापी चकनाचूर, ओ भईया
ज़रा हलके गाड़ी हांको
देस देस का वैद बुलाया,
लाया जड़ी और बूटी
वा जड़ी बूटी तेरे काम न आई
जद राम के घर से छूटी, रे भईया
ज़रा हलके गाड़ी हांको
चार जना मिल मतो उठायो,
बांधी काठ की घोड़ी
लेजा के मरघट पे रखिया,
फूंक दीन्ही जैसे होली, रे भईया
ज़रा हलके गाड़ी हांको
बिलख बिलख कर तिरिया रोवे,
बिछड़ गयी रे मेरी जोड़ी
कहे कबीर सुनो भाई साधो,
जिन जोड़ी तिन तोड़ी, रे भईया
ज़रा हलके गाड़ी हांको धीरे धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय।
माली सींचे सो गड़ा,ऋतू आय फल होय।
जरा हलके गाड़ी हाको
जरा हलके गाड़ी हांको,
मेरे राम गाड़ी वाले।
जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको,
मेरे राम गाड़ी वाले।
गाड़ी म्हारी रंग रंगीली,
पहिया है लाल गुलाब।
हांकन वाली छैल छबीली,
बैठन वाला काल।
जरा हलके। ….
गाड़ी अटकी रेत में जी,
मजल पडी है दूर।
धर्मी धर्मी पार उतर ग्या,
पापी चकना चूर।
जरा हलके। ….
देश देश का वैद बुलाया,
लाया जडी और बूटी
जडी बूटी तेरे काम न आई,
जड़ राम के घर की छूटी।
जरा हलके। ….
चार जना मिल मतों उठायो,
बांधी काठ की घोडी।
ले जाके मरघट पे रखदी,
फूँक दिनी जस होली।
जरा हलके। ….
बिलख बिलख कर त्रिया रोये,
बिछड़ गयी मेरी जोड़ी।
कहे कबीर सुनो भाई साधो,
जिन जोड़ी उन तोडी।
जरा हलके। ….
!! मेरे राम गाड़ी वाले !!
जरा हलके गाड़ी हांको,मेरे राम गाड़ी वाले।
जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको,मेरे राम गाड़ी वाले।
गाड़ी म्हारी रंग रंगीली,पहिया है लाल गुलाब।
हांकन वाली छैल छबीली,बैठन वाला काल।
जरा हलके। ….
गाड़ी अटकी रेत में जी, मजल पडी है दूर।
धर्मी धर्मी पार उतर ग्या,पापी चकना चूर।
जरा हलके। ….
देश देश का वैद बुलाया,लाया जडी और बूटी
जडी बूटी तेरे काम न आई,जड़ राम के घर की छूटी।
जरा हलके। ….
चार जना मिल मतों उठायो,बांधी काठ की घोडी।
ले जाके मरघट पे रखदी, फूँक दिनी जस होली।
जरा हलके। ….
बिलख बिलख कर त्रिया रोये,बिछड़ गयी मेरी जोड़ी।
कहे कबीर सुनो भाई साधो,जिन जोड़ी उन तोडी।
जरा हलके। ….
जरा हल्के गाड़ी हांको | Jara Halke Gadi Hanko mere Ram Gadi Wale | Prahlad Singh Tipanya
जरा हल्के गाड़ी हांको,
मेरे राम गाड़ी वाले,
जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको,
मेरे राम गाड़ी वाले ।
गाड़ी म्हारी रंग रंगीली,
पहिया है लाल गुलाल,
हाकण वाली छेल छबीली,
बैठण वालो राम ।
जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको,
मेरे राम गाड़ी वाले ।
गाड़ी अटकी रेत में,
मेरी मजल पड़ी है दूर,
धर्मी धर्मी पार उतर गया,
पापी चकना चूर ।
जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको,
मेरे राम गाड़ी वाले ।
देस देस का वेद बुलाया,
लाया जड़ी और बूटी,
जड़ी बूटी तेरे काम ना आई,
जब राम के घर की टूटी ।
जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको,
मेरे राम गाड़ी वाले ।
चार जणा मिल माथे उठायो,
बाँधी कांठ की घोड़ी,
ले जाके मरघट पे रखदि,
फूंक दीन्ही जस होरी ।
जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको,
मेरे राम गाड़ी वाले ।
बिलख बिलख कर तिरिया रोवे,
बिछड़ गई मेरी जोड़ी,
कहे कबीर सुनो भई साधु,
जिन जोड़ी तीन तोड़ी ।
जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको,
मेरे राम गाड़ी वाले ।
जरा हल्के गाड़ी हांको,
मेरे राम गाड़ी वाले,
जरा धीरे धीरे गाड़ी हांको,
मेरे राम गाड़ी वाले ।
ज़रा हलके गाड़ी हांको
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