अवधूता गगन घटा गहरानी रे लिरिक्स Avdhuta Gagan Ghata Gahraani Re Lyrics Kabir Bhajan Lyrics Hindi with Meaning
अवधूता, गगन घटा गहरानी रे ॥
Meaning : हे अवधूता (ज्ञानी पुरुष) उठो देखो आकाश में घटाएं छाईं हैं। काली घटाएं आकाश में छा रही हैं। विपदा आने ही वाली हैं, इसलिए सचेत हो जाओ। O unattached one, sky is overcast and darkening. Something untoward is going to happen.
पच्छम दिसा से उलटी बादली, रुमझुम बरसे मेहा,
पश्चिम दिशा जो की अनहोनी और संकट का प्रतिक है वहां से बादल गहराने लगे हैं और बादल बरसने लगे हैं। उठो और देखो की संकट द्वार पर खड़ा है, आने वाला है। The clouds are returning from the west, rhythmic rain is falling, Dark clouds are blowing from the west. Kali Ghata is an indicator of untowardness.
उठो ग्यानी खेत संभारो, बह निसरेगा पानी ॥१॥
उठो और अपने खेत (मानव जीवन ) को सम्भालो, अन्यथा बरसात का पानी तुम्हारे खेत में से निकलने लगेगा। This life is like a farm. So get up and take care of your farm. Get Up learned one take care of the fences and boundaries of your fields, lest the rains overflow them.
निरत-सुरत के बेल बनावो, बीजा बोवो निज धानी,
स्वंय को भक्ति में समर्पित करके एक बीज़ बनाओं जो भक्ति को पल्लवित करे। Let's make a creeper of deliverance, by planting the seed of self-sacrifice. Make yourself a seed by dedicating yourself in Bhakti Marga.
दुबध्या दूब जमना नही पावे, बोवो नाम की धानी ॥२॥
दुविधा रूपी दूब (घास ) उत्पन्न हैं हो पाए इसका ध्यान रखो और नाम रूपी फसल को पैदा करो। संशय को छोड़ कर राम नाम का बीज़ बोओ। Let not the weed of doubt set, sow the grain of Raam Naam
चारों कोने चार रखवाले, चुग ना जावे मृग धानी,
चारों कोनों पर चार रखवाले छोडो और सचेत रहो की कहीं मृग (माया) तुम्हारे खेत में चर ना जाएं। Four guards on each of the four corners, preventing the deer from eating the grain,
काट्या खेत मींडा घर ल्यावे, जा की पूरन किसानी ॥३॥
जो किसान अपने खेत से पैदावार को अपने घर पर लाता है वही सच्चा किसान होता है। भाव है की भक्ति का बीज बोओ और उससे उत्पन्न होने वाले परिणाम को प्राप्त करो। It is the prudent farmer who will bring his harvest home ॥3॥
पांच सखी मिल करे रसोई, जिहमें मुनी और ग्यानी,
पाँचों इन्द्रियाँ मिलकर रसोई पकाती हैं इसके जाल में मुनि और ग्यानी भी रसोई में पका लिए जाते हैं, माया का शिकार बन जाते हैं। भाव है की माया और पाँचों इन्द्रियों से हमें सचेत रहना चाहिए। Together the five friends Are Cooking, the Munis and Gyanis are eaten,
कहे कबीर सुनो भाई साधो, बोवो नाम की धानी ॥४॥
कबीर साहेब वाणी देते हैं की साधक को राम नाम की फ़सल पैदा करनी चाहिए। Listen oh seeker says Kabir, sow the grain of naam ॥
Meaning : हे अवधूता (ज्ञानी पुरुष) उठो देखो आकाश में घटाएं छाईं हैं। काली घटाएं आकाश में छा रही हैं। विपदा आने ही वाली हैं, इसलिए सचेत हो जाओ। O unattached one, sky is overcast and darkening. Something untoward is going to happen.
पच्छम दिसा से उलटी बादली, रुमझुम बरसे मेहा,
पश्चिम दिशा जो की अनहोनी और संकट का प्रतिक है वहां से बादल गहराने लगे हैं और बादल बरसने लगे हैं। उठो और देखो की संकट द्वार पर खड़ा है, आने वाला है। The clouds are returning from the west, rhythmic rain is falling, Dark clouds are blowing from the west. Kali Ghata is an indicator of untowardness.
उठो ग्यानी खेत संभारो, बह निसरेगा पानी ॥१॥
उठो और अपने खेत (मानव जीवन ) को सम्भालो, अन्यथा बरसात का पानी तुम्हारे खेत में से निकलने लगेगा। This life is like a farm. So get up and take care of your farm. Get Up learned one take care of the fences and boundaries of your fields, lest the rains overflow them.
निरत-सुरत के बेल बनावो, बीजा बोवो निज धानी,
स्वंय को भक्ति में समर्पित करके एक बीज़ बनाओं जो भक्ति को पल्लवित करे। Let's make a creeper of deliverance, by planting the seed of self-sacrifice. Make yourself a seed by dedicating yourself in Bhakti Marga.
दुबध्या दूब जमना नही पावे, बोवो नाम की धानी ॥२॥
दुविधा रूपी दूब (घास ) उत्पन्न हैं हो पाए इसका ध्यान रखो और नाम रूपी फसल को पैदा करो। संशय को छोड़ कर राम नाम का बीज़ बोओ। Let not the weed of doubt set, sow the grain of Raam Naam
चारों कोने चार रखवाले, चुग ना जावे मृग धानी,
चारों कोनों पर चार रखवाले छोडो और सचेत रहो की कहीं मृग (माया) तुम्हारे खेत में चर ना जाएं। Four guards on each of the four corners, preventing the deer from eating the grain,
काट्या खेत मींडा घर ल्यावे, जा की पूरन किसानी ॥३॥
जो किसान अपने खेत से पैदावार को अपने घर पर लाता है वही सच्चा किसान होता है। भाव है की भक्ति का बीज बोओ और उससे उत्पन्न होने वाले परिणाम को प्राप्त करो। It is the prudent farmer who will bring his harvest home ॥3॥
पांच सखी मिल करे रसोई, जिहमें मुनी और ग्यानी,
पाँचों इन्द्रियाँ मिलकर रसोई पकाती हैं इसके जाल में मुनि और ग्यानी भी रसोई में पका लिए जाते हैं, माया का शिकार बन जाते हैं। भाव है की माया और पाँचों इन्द्रियों से हमें सचेत रहना चाहिए। Together the five friends Are Cooking, the Munis and Gyanis are eaten,
कहे कबीर सुनो भाई साधो, बोवो नाम की धानी ॥४॥
कबीर साहेब वाणी देते हैं की साधक को राम नाम की फ़सल पैदा करनी चाहिए। Listen oh seeker says Kabir, sow the grain of naam ॥
अवधूता, गगन घटा गहरानी रे - Avadhuta Gagan Ghata Geharani Re - kumar gandharva
अवधूता, गगन घटा गहरानी रे ॥
पच्छम दिसा से उलटी बादली, रुमझुम बरसे मेहा,
उठो ग्यानी खेत संभारो, बह निसरेगा पानी ॥१॥
निरत-सुरत के बेल बनावो, बीजा बोवो निज धानी,
दुबध्या डूब जमना नही पावे, बोवो नाम की धानी ॥२॥
चारों कोने चार रखवाले, चुग ना जावे मृग धानी,
काट्या खेत मींडा घर ल्यावे, जा की पूरन किसानी ॥३॥
पांच सखी मिल करे रसोई, जिहमें मुनी और ग्यानी,
कहे कबीर सुनो भाई साधो, बोवो नाम की धानी ॥४॥
पच्छम दिसा से उलटी बादली, रुमझुम बरसे मेहा,
उठो ग्यानी खेत संभारो, बह निसरेगा पानी ॥१॥
निरत-सुरत के बेल बनावो, बीजा बोवो निज धानी,
दुबध्या डूब जमना नही पावे, बोवो नाम की धानी ॥२॥
चारों कोने चार रखवाले, चुग ना जावे मृग धानी,
काट्या खेत मींडा घर ल्यावे, जा की पूरन किसानी ॥३॥
पांच सखी मिल करे रसोई, जिहमें मुनी और ग्यानी,
कहे कबीर सुनो भाई साधो, बोवो नाम की धानी ॥४॥
Avadhuta Gagan Ghata Geharani Re
Pachm Disa Se Ulti Badali, Rum Jhum Barse Meha
Utho Gyani Khet Sambharo Behe Nisrega Pani
Nirat Surat Ke Bel Banawo, Beeja Bovo Nij Dhani
Dubadhya Doob Jaman Nahi Pawe,
Bovo Naam Ki Dhani
Charon Kone Char Rakhwale,
Chug Na Jawe Mrig Dhani
Katya Khet Meenda Ghar Lyawe, Jaki Puran Kisani
Paanch Sakhi Mil Kare Rasoi Jeehme Muni Aur Gyani
Kahe Kabir Suno Bhai Sadho Bovo Naam Ki Dhani
Pachm Disa Se Ulti Badali, Rum Jhum Barse Meha
Utho Gyani Khet Sambharo Behe Nisrega Pani
Nirat Surat Ke Bel Banawo, Beeja Bovo Nij Dhani
Dubadhya Doob Jaman Nahi Pawe,
Bovo Naam Ki Dhani
Charon Kone Char Rakhwale,
Chug Na Jawe Mrig Dhani
Katya Khet Meenda Ghar Lyawe, Jaki Puran Kisani
Paanch Sakhi Mil Kare Rasoi Jeehme Muni Aur Gyani
Kahe Kabir Suno Bhai Sadho Bovo Naam Ki Dhani
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