वन्दे विदेहतनया पद पुण्डरीकं
कैशोर सौरभ समाहृत-योगि-चित्तम् ।
हन्तुं त्रितापमनिशं मुनि हंस-सेव्यं
सन्मानसालि परिपीत पराग-पुञ्जम्॥
वन्दे विदेहतनया पद पुण्डरीकं
कैशोर-सौरभ-समाहृत-योगि-चित्तम् ।
हन्तुं त्रितापमनिशं मुनि-हंस-सेव्यं
सन्मानसालि परिपीत-पराग-पुञ्जम्॥
यत्र यत्र रघुनाथ कीर्तनं तत्र तत्र कृतमस्तकाञ्जलिम् ।
भाष्पवारि परिपूर्ण लोचनं मारुतिं नमत राक्षसान्तकम्
नमामि भक्तवत्सलं कृपालु शील कोमलं
भजामि ते पदांबुजं अकामिना स्वधामदं
निकाम श्याम सुंदरं भवांबुनाथ मन्दरं
प्रफुल्ल कंज लोचनं मदादि दोष मोचन
कैशोर सौरभ समाहृत-योगि-चित्तम् ।
हन्तुं त्रितापमनिशं मुनि हंस-सेव्यं
सन्मानसालि परिपीत पराग-पुञ्जम्॥
वन्दे विदेहतनया पद पुण्डरीकं
कैशोर-सौरभ-समाहृत-योगि-चित्तम् ।
हन्तुं त्रितापमनिशं मुनि-हंस-सेव्यं
सन्मानसालि परिपीत-पराग-पुञ्जम्॥
यत्र यत्र रघुनाथ कीर्तनं तत्र तत्र कृतमस्तकाञ्जलिम् ।
भाष्पवारि परिपूर्ण लोचनं मारुतिं नमत राक्षसान्तकम्
नमामि भक्तवत्सलं कृपालु शील कोमलं
भजामि ते पदांबुजं अकामिना स्वधामदं
निकाम श्याम सुंदरं भवांबुनाथ मन्दरं
प्रफुल्ल कंज लोचनं मदादि दोष मोचन
Vande Vidyaataany Pad Pundareekan
Kishor Saurabh Samuhrt-yogee-chittam.
Hantu Tritapamaanisham Muni Hans-sevyam
Maananeey Parimit Paraag.
Vande Vidyaataany Pad Pundareekan
Kaishor-saurabh-samahrit-yogee-chhittam.
Hantu Tritapamaanisham Muni-hans-sevyam
Sammaanasaalee Paitarnit-paraag-pujanam.
Yatr Yatr Raghunaath Keertanam Tatr Tatr Krtamastakanjalim.
Bhapasvaree Paripurna Lochanan Maarutin Namat Rakshasantakam
Namaami Bhaktavatsalam Krpaalu Shail Komalam
Bhajaami Te Padambujan Akimina Svadhamadam
Nikam Shyaam Sundaram Bhavamunaath Mandir
Praphull Kanj Lochanam Madaadi Dosh Mochan
Kishor Saurabh Samuhrt-yogee-chittam.
Hantu Tritapamaanisham Muni Hans-sevyam
Maananeey Parimit Paraag.
Vande Vidyaataany Pad Pundareekan
Kaishor-saurabh-samahrit-yogee-chhittam.
Hantu Tritapamaanisham Muni-hans-sevyam
Sammaanasaalee Paitarnit-paraag-pujanam.
Yatr Yatr Raghunaath Keertanam Tatr Tatr Krtamastakanjalim.
Bhapasvaree Paripurna Lochanan Maarutin Namat Rakshasantakam
Namaami Bhaktavatsalam Krpaalu Shail Komalam
Bhajaami Te Padambujan Akimina Svadhamadam
Nikam Shyaam Sundaram Bhavamunaath Mandir
Praphull Kanj Lochanam Madaadi Dosh Mochan
रामायण, वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत महाकाव्य है। इसे आदिकाव्य तथा इसके रचयिता महर्षि वाल्मीकि को 'आदिकवि' भी कहा जाता है। संस्कृत साहित्य परम्परा में रामायण और महाभारत को इतिहास कहा गया है और दोनों सनातन संस्कृति के सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय ग्रन्थ हैं। रामायण के सात अध्याय हैं जो काण्ड के नाम से जाने जाते हैं। इसमें कुल लगभग 24,000 श्लोक हैं। इसके बाद की संस्कृत एवं अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्य पर इस महाकाव्य का बहुत अधिक प्रभाव है तथा रामकथा को लेकर अनेकों 'रामायण' रचे गये।
Author - Saroj Jangir
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