करके काया की कुटवाली लिरिक्स Yaha Se Chale Gaye Kotwal Karke Kaya Ki Kutwali Lyrics Prahlad Singh Tipaniya Bhajan Lyrics in Hindi
जो उगे सो आथमे,
जो फुले सो कुम्हलाय,
जो चुने सो ढही पड़े,
जन्मे सो मरी जाय।
कबीर गाफिल क्यों फिरे
क्यों सोवे घनघोर
तेरे सिराने जम खड़ा
ज्यो अंधियारे चोर
यहाँ से चले गए
यहाँ से निकल गए
यहाँ से चले गए
यहाँ से निकल गए
कुटवाल करके काया की
करके काया की कुटवाली
यहाँ से निकल गए महाराज
करके काया की कुटवाली
आया था एक
एक तार जरुरी
उसमे लिखा हकम हुजूरी
सुनते ही कर ली मंजूरी
याने कूच किया तत्काल
मुख से जबा नहीं निकाली
करके काया की कुटवाली
निकल गए महाराज
करके काया की कुटवाली
बदली हो गयी और जिलो की
छोड़ चला सब कोट किलो की
बदली हो गयी और जिलो की
छोड़ चला सब कोट किलो की
सब कोट किलो की
कर ले मन होंशियारी
तू क्यों होता बेचैन
तेरी घडी टले ना टाली
करके काया की कुटवाली
निकल गए महाराज
करके काया की कुटवाली
करके काया की कुटवाली
यहाँ से चले गए कुटवाल
करके काया की कुटवाली
संग में जवान पुलिस का भाई
छोड़ गए सब संग सिपाही
एक एक वस्तु अनमोल गवाई
पर गया रे हाथ से खाली
जिन ने सारा माल लुटवा दिया
करके काया की कुटवाली
करके काया की कुटवाली
यहाँ से चले गए कुटवाल
करके काया की कुटवाली
यहाँ के गए बहुरि ना आये
गुरु की दया बिन राह ना पावे
राही राह का पता नहीं पावे
फेर कबीर दिखलाई माया
खूब कही कमली पर
वाकी राह निराली
करके काया की कुटवाली
करके काया की कुटवाली
यहाँ से चले गए कुटवाल
करके काया की कुटवाली
सत श्री कबीर साहेब
जो फुले सो कुम्हलाय,
जो चुने सो ढही पड़े,
जन्मे सो मरी जाय।
कबीर गाफिल क्यों फिरे
क्यों सोवे घनघोर
तेरे सिराने जम खड़ा
ज्यो अंधियारे चोर
यहाँ से चले गए
यहाँ से निकल गए
यहाँ से चले गए
यहाँ से निकल गए
कुटवाल करके काया की
करके काया की कुटवाली
यहाँ से निकल गए महाराज
करके काया की कुटवाली
आया था एक
एक तार जरुरी
उसमे लिखा हकम हुजूरी
सुनते ही कर ली मंजूरी
याने कूच किया तत्काल
मुख से जबा नहीं निकाली
करके काया की कुटवाली
निकल गए महाराज
करके काया की कुटवाली
बदली हो गयी और जिलो की
छोड़ चला सब कोट किलो की
बदली हो गयी और जिलो की
छोड़ चला सब कोट किलो की
सब कोट किलो की
कर ले मन होंशियारी
तू क्यों होता बेचैन
तेरी घडी टले ना टाली
करके काया की कुटवाली
निकल गए महाराज
करके काया की कुटवाली
करके काया की कुटवाली
यहाँ से चले गए कुटवाल
करके काया की कुटवाली
संग में जवान पुलिस का भाई
छोड़ गए सब संग सिपाही
एक एक वस्तु अनमोल गवाई
पर गया रे हाथ से खाली
जिन ने सारा माल लुटवा दिया
करके काया की कुटवाली
करके काया की कुटवाली
यहाँ से चले गए कुटवाल
करके काया की कुटवाली
यहाँ के गए बहुरि ना आये
गुरु की दया बिन राह ना पावे
राही राह का पता नहीं पावे
फेर कबीर दिखलाई माया
खूब कही कमली पर
वाकी राह निराली
करके काया की कुटवाली
करके काया की कुटवाली
यहाँ से चले गए कुटवाल
करके काया की कुटवाली
सत श्री कबीर साहेब
उगे: जन्म लेना,
आथमे: समाप्त होना
सिराने : सरहाने
जम : यमराज
कुटवाल : कोतवाल
कुटवाल : देख रेख करना, सार संभाल करना
तार : जरुरी सूचना
हकम हुजूरी : मालिक का सन्देश
जबा : वाणी
आथमे: समाप्त होना
सिराने : सरहाने
जम : यमराज
कुटवाल : कोतवाल
कुटवाल : देख रेख करना, सार संभाल करना
तार : जरुरी सूचना
हकम हुजूरी : मालिक का सन्देश
जबा : वाणी
जो उगे सो आथमे,
जो फुले सो कुम्हलाय,
जो चुने सो ढही पड़े,
जन्मे सो मरी जाय।
Prahlad Singh Tipaniya | Yaha Se Chale Gaye | Kabir Bhajan
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