सब जग सुता नींद भरी
मोहे ना आवे नींद
काल खड़ा है बारने
ज्यो तोरण आया बींद
कबीर गाफिल क्या फिरे
क्यों सोया घनघोर
तेरे सिराने जम खड़ा
ज्यो अंधियारे चोर
आस पास जोधा खड़े
सबे बजावे गाल
मंज महल से ले चला
ऐसा अपर बल काल
काल खड़ा सिर उपरे
जागो बिराने जीव
ज्याका घर है गेल में
तू क्यों सोवे चीर
होंशियार रहना रे
नगर में चोर आवेगा
जाग्रत रहना रे
नगर में चोर आवेगा
चोर आवेगा नगर में
एक दिन काल आवेगा
तीर तोप तलवार ना बरछी चलाएगा
आवत जावत कहू ना दिखे
घर में राड़ मचावेगा
होंशियार रहना रे
नगर में चोर आवेगा
जाग्रत रहना रे
नगर में चोर आवेगा
चोर आवेगा नगर में
रे एक दिन काल आवेगा
ना गढ़ तोड़े ना गढ़ फोड़े
ना कोई रूप दिखावेगा
इस नगरी से कोई काम नहीं है
तुझे पकड़ ले जावेगा
होंशियार रहना रे
नगर में चोर आवेगा
जाग्रत रहना रे
नगर में चोर आवेगा
चोर आवेगा नगर में
रे एक दिन काल आवेगा
भाई बंधू कोई काम नहीं आएगा
ढूंढे पता मिले नहीं तेरा
खोजी खोज नहीं पायेगा
होंशियार रहना रे
नगर में चोर आवेगा
जाग्रत रहना रे,
नगर में चोर आवेगा
चोर आवेगा नगर में
रे एक दिन काल आवेगा
धन दोलत और माल खजाना
सभी त्याग तू जाएगा
कहे कबीर सुनो भाई साधो
तू खोल किवाड़ी जाएगा
होंशियार रहना रे
नगर में चोर आवेगा
जाग्रत रहना रे
नगर में चोर आवेगा
चोर आवेगा नगर में
रे एक दिन काल आवेगा
मुट्ठी बाँध के आया रे पगले
हाथ पसारे जाएगा
कहे कबीर सुने भाई साधो
करनी का फल पायेगा
होंशियार रहना रे
नगर में चोर आवेगा
जाग्रत रहना रे
नगर में चोर आवेगा
चोर आवेगा नगर में
रे एक दिनकाल आवेगा
सत श्री कबीर साहेब काल : मृत्यु
जम : यमराज
सिराने : सिरहाने
राड़ : झगडा
किवाड़ी : दरवाजे
मोहे ना आवे नींद
काल खड़ा है बारने
ज्यो तोरण आया बींद
कबीर गाफिल क्या फिरे
क्यों सोया घनघोर
तेरे सिराने जम खड़ा
ज्यो अंधियारे चोर
आस पास जोधा खड़े
सबे बजावे गाल
मंज महल से ले चला
ऐसा अपर बल काल
काल खड़ा सिर उपरे
जागो बिराने जीव
ज्याका घर है गेल में
तू क्यों सोवे चीर
होंशियार रहना रे
नगर में चोर आवेगा
जाग्रत रहना रे
नगर में चोर आवेगा
चोर आवेगा नगर में
एक दिन काल आवेगा
तीर तोप तलवार ना बरछी चलाएगा
आवत जावत कहू ना दिखे
घर में राड़ मचावेगा
होंशियार रहना रे
नगर में चोर आवेगा
जाग्रत रहना रे
नगर में चोर आवेगा
चोर आवेगा नगर में
रे एक दिन काल आवेगा
ना गढ़ तोड़े ना गढ़ फोड़े
ना कोई रूप दिखावेगा
इस नगरी से कोई काम नहीं है
तुझे पकड़ ले जावेगा
होंशियार रहना रे
नगर में चोर आवेगा
जाग्रत रहना रे
नगर में चोर आवेगा
चोर आवेगा नगर में
रे एक दिन काल आवेगा
भाई बंधू कोई काम नहीं आएगा
ढूंढे पता मिले नहीं तेरा
खोजी खोज नहीं पायेगा
होंशियार रहना रे
नगर में चोर आवेगा
जाग्रत रहना रे,
नगर में चोर आवेगा
चोर आवेगा नगर में
रे एक दिन काल आवेगा
धन दोलत और माल खजाना
सभी त्याग तू जाएगा
कहे कबीर सुनो भाई साधो
तू खोल किवाड़ी जाएगा
होंशियार रहना रे
नगर में चोर आवेगा
जाग्रत रहना रे
नगर में चोर आवेगा
चोर आवेगा नगर में
रे एक दिन काल आवेगा
मुट्ठी बाँध के आया रे पगले
हाथ पसारे जाएगा
कहे कबीर सुने भाई साधो
करनी का फल पायेगा
होंशियार रहना रे
नगर में चोर आवेगा
जाग्रत रहना रे
नगर में चोर आवेगा
चोर आवेगा नगर में
रे एक दिनकाल आवेगा
सत श्री कबीर साहेब काल : मृत्यु
जम : यमराज
सिराने : सिरहाने
राड़ : झगडा
किवाड़ी : दरवाजे
होंशियार रहना रे
नगर में चोर आवेगा
जाग्रत रहना रे
नगर में चोर आवेगा
चोर आवेगा नगर में
एक दिन काल आवेगा
Kabir's bhajans (devotional songs) are an important part of Indian spiritual music, and they continue to be popular today. Some of Kabir's famous bhajans include:
"Bhajo re mann Govinda": This bhajan is a call to worship Lord Krishna, and it encourages the listener to focus their mind on the divine.
"Moko kahan dhoonde re bande": This bhajan is a reminder that God is within us and that we should seek him within ourselves rather than looking for him in external places.
"Jhini jhini bini chadariya": This bhajan describes the transience of life and encourages the listener to focus on the eternal nature of God.
"Sakhi re mera man": This bhajan is a prayer to a spiritual friend, asking for guidance and support on the path to enlightenment.
"Man laago mero yaar fakiri mein": This bhajan is a call to embrace simplicity and detachment from worldly desires in order to focus on the spiritual path.
These bhajans are often sung in a call-and-response style, with a lead singer reciting the lyrics and the audience responding with a refrain. Kabir's bhajans continue to inspire and uplift people around the world with their messages of devotion and spirituality.
Prahlad Singh Tipanya | Hoshiyar Rehna | Kabir Bhajan
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