तेरे टिल्ले तो सोंग सूरत दींदी आ हीर मीनिंग ਤੇਰੇ ਟਿੱਲੇ ਤੋਂ
हीर और रांझा के किस्से से जीकर है की हीर के चाचा हीर और रांझा खेतों में इश्क के नशे में डूबा हुआ देख लेता है तो उसने परिवार में ये बात सबके सामने फैला दी और रांझा को गाय भैंस चराने के काम से निकाल दिया जाता है . हीर पर दबाव डाला जाता है की वो रांझा से ना मिले और उसकी शादी जबरन स्थानीय मुल्ला सईदा खैरा के लिए जोर डालते हैं। रांझा को हीर से मिलने नहीं दिया जाता है, इससे दुखी होकर रांझा (तखत हजारा) सयाल को छोड़ जाता है। इसी दौरान रांझा जोगी गोरख नाथ जी के सम्पर्क में आता है कान फडवा, जोगी बन गाँव गाँव फिरने लग पड़ता है।
मूल रूप से, इस लोक गीत में रांझा अपने गुरु, गोरक्ष नाथ जी, को संबोधित करते हुए कह रहा है की जिस टीले (ऊँचा स्थान-टिल्ला जोगियान Bhera, Sargodha District, Punjab, Pakistan) पर हम (राँझा और गुरु गोरक्षनाथ) खड़े हैं, वहां से मुझे हीर का चेहरा दिख रहा है और इस गीत के जरिये हीर की खूबसूरती का वर्णन है। यह गीत कुलदीप मानक जी ने (1976 -HMV ) गाकर इसे अमर कर दिया।
तेरे टिल्ले तो ओ सूरत दींदी आ हीर दी
Tere Tille Ton Oh, Surat Deendi Ah Heer Di
मैं आपके टिल्ले से हीर की सूरत को देख पा रहा हूँ।ओ ल वेख गोरखा उड़ दी ए फुलकारी
Oh Lai Vekh Gorakha Udd Di Ay Phulkari
देखो उसकी फुलकारी (हाथों के कसीदे की चुन्नी, स्कार्फ) उड़ रही है गोरखा
बुल्ल पतासिया ओदियाँ गल्लां गलगल नार दिया
Bhul Patisian Ohdian Gallan Galgal Naar Diyan
उसके बुल्ल (होंठ) पतासिया (पताशा -एक तरह की मिठाई ) और उसके गाल (Cheeks ) ऐसे है मानो पहाड़ी निम्बू (बड़े आकार के रस भरे )
टोया थोडी दे विच ना पतली ना भारी
Toya Thodi De Vich, Na Patli Na Bhaari
उसकी थोडी पर टोया (हल्का गड्ढा ) है और वो ना तो ज्यादा पतली है और ना ही ज्यादा मोती है।
दोनों नैण जट्टी दे भरे ने कौल शराब दे
Dono Nain Jatti De Bhare Ne Kaul Sharab De
जट्टी (हीर ) के दोनों नैन शराब से भरे हैं।
धौंन सुराही मंगी मिरगा कौल उधारी
Dhaun Surahi, Mangi Mirga koul Udhaari
धौंन (गर्दन) सुराही के जैसे पतली है और ऐसा लगता है जैसे की उसने ये हिरणों से उधार ले रखी हो।
गौरी धौंन डौले काली गानी जट्टी दी
Gori Dhaun Duaale Kaali Gaani Jatti De
उसकी गर्दन (धौंन) पर काले रंग का हार है।
चन्दन गेली नु ज्यो नागां कुंडली मारी
Chandan Geli Nu Jyon Nagaan Kundli Maari
जैसे की चन्दन की शाखा (गेली) से कोई काले रंग का सांप लिपट जाता है वैसे ही हीर की गौरी गर्दन पर उसका काला हार (गानी ) ने लपेटे ले रखे हैं।
बैठी त्रिंजना दे विच ओ चरखा तंद पौंदी ए
Baithi Trinjna De Vich Oh Charkhe Tand Paondi Aa
वह त्रिंजना (सहेलियों के झुण्ड) में बैठी है और वह चरखे में तंद (धागा ) कात रही है।
वेख के रंग जट्टी दा तौबा करण ललारी
Vekh Ke Rang Jatti Da, Tauba Karan Lalaari
हीर (जट्टी) का रंग देख कर रंगरेज (ललारी) भी तौबा (आश्चर्यचकित) हैं।
गुज्ज हीर रहे ना मेरी विच हजारां दे
Gujji Heer Rahe Na, Meri Vich Hazaaran De
मेरी हीर हजारों में भी गुज्ज (छिपी) हुयी नहीं रह सकती है।
धी ओ चुचक दी हे है साहां तो प्यारी
Dhee Oh Chuchak Di Hai, Hai Sahan Ton Pyari
चुचक (हीर के पिता का नाम) की लड़की (धी) मुझे साँसों से भी अधिक प्यारी है, मेरे दिल के करीब है।
जट्टी खातर आय जोग लेंण नु टिल्ले तो मैं तेरे
Jatti Khatar Aya Chog Lain Nu Tille Ton Main Tere
मैं हीर (जट्टी ) की खातिर ही जोग लेने को ही तेरे टिल्ले पर आया हूँ।
पा दे मूंदरा कन्नी छुरी फेर इक बारी
Pa De Mundran Kanni, Churi Pher Ik Vaari
मेरे कानों में मुंदरी पा दे (कानों में छोटे कडे जो नाथ पहनते हैं ) एक बार छुरी फेर दो
जा के खेडीया दे पिंड दर्शन करिए हीर दे
Ja Ke Khedeyan De Pind, Darshan Kariye Heer De
चलो खेडिया (रंगपुर खेडी ) जाकर हीर के दर्शन करो।
कहे थरिकावाला इश्क है बुरी बिमारी
Kahe "Tharike Wala" Ishq Hai Buri Bimari
थरिकावाला (लेखक) इश्क बुरी बिमारी है।
नैन संडली जट्टी दे पिज्झ गए ने
Nain Sandli Jatti De Pijh Gaye Ne
संडली (पीला रंग ) रंग की (गोरी) हीर के नैन आंशुओं से भीग गए हैं।
घर पंडिता दे मुर्गे रिज्झ गए ने
Ghar Panditan De Murgay Rijh Gaye Ne
पंडितों के भर पर भी मुर्गे पकाए जाने लगे हैं।
मूंडे काजियाँ दे दारु पीन गिज्झ गए ने
Munde Kaajiian De Daru Peen Gijh Gaye Ne
काजियों के लड़के भी शराब पीने लग गए हैं।