कबीरा कुंआ एक हैं पानी भरैं अनेक हिंदी मीनिंग Kabir Kuva Ek Hai Pani Bhare Anek Hindi Meaning

कबीरा कुंआ एक हैं पानी भरैं अनेक हिंदी मीनिंग Kabir Kuva Ek Hai Pani Bhare Anek Hindi Meaning कबीर दोहे व्याख्या हिंदी

 
कबीरा कुंआ एक हैं पानी भरैं अनेक।
बर्तन में ही भेद है, पानी सबमें एक।।

Kabeera Kuna Ek Hain Paanee Bharain Anek.
Bartan Mein Hee Bhed Hai, Paanee Sabamen Ek. 
 
कबीरा कुंआ एक हैं पानी भरैं अनेक हिंदी मीनिंग Kabir Kuva Ek Hai Pani Bhare Anek Hindi Meaning

दोहे के शब्दार्थ Word Meaning of Kabir Doha in Hindi

कबीरा कुंआ एक हैं -कुआ एक ही है जिससे लोग पानी भरते हैं. इस श्रष्टि का मालिक एक ही है (पूर्ण परम ब्रह्म)
पानी भरैं अनेक- सभी लोग पानी भरते हैं/सभी लोगों का देने वाला दाता एक ही है.
बर्तन में ही भेद है-पानी एक है और बर्तनों में ही भेद है.
पानी सबमें एक-सभी बर्तनों में पानी एक ही है. सभी जीवों में प्राण शक्ति एक ही है.


दोहे का हिंदी मीनिंग:
जाति, धर्म, सम्प्रदाय, ऊंच नीच सभी वर्ग इंसान के बनाये हुए हैं, ईश्वर किसी भी व्यक्ति में कोई भेद नहीं करता है। परम सत्ता की नजर में हम सभी एक हैं और उसी की संतान हैं। जैसे कुआं तो एक होता है लेकिन उसमे नाना रंग के मटके पानी की तलाश में आते हैं, नाना जातियों, धर्मों के लोग उससे अपनी प्यास को शांत करते हैं, लेकिन कुआ किसी में कोई भेद नहीं करता है। उसकी नजर में सभी समान है और वह सभी को पानी उपलब्ध करवाता है। यही तथ्य ईश्वर के साथ भी है, वह किसी भेद नहीं करता है। बर्तनों में भेद हो सकते हैं लेकिन पानी में कोई भेद नहीं होता है।

मनुष्य ने अपनी सुविधा के हिसाब से ईश्वर का नामकरण कर लिए है और उसे कई नाम दे डाले हैं। फिर उन नामों की श्रेष्ठता को लेकर आपस में लड़ाई झगडा और संघर्ष करता है जिस पर कबीर को बड़ा ही दुःख होता है। सभी कहते हैं की उनका ईश्वर सबसे श्रेष्ठ हैं, दूसरों के नहीं, यही झगड़े की मूल जड़ है। स्वंय से ऊपर उठ कर ईश्वर का आंकलन करना आवश्यक है तभी सभी संघर्षों का अंत होगा।

कबीर साहेब इन इस दोहे में स्वंय / आत्मा का परिचय देते हुए स्पष्ट किया है की मैं कौन हूँ,
जाती हमारी आत्मा, प्राण हमारा नाम।
अलख हमारा इष्ट, गगन हमारा ग्राम।।

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2 Comments
  • Unknown
    Unknown 10/02/2021

    विचार अच्छे हैं

  • बेनामी
    बेनामी 6/04/2023

    जिस दिन हमारा समाज कबीरदास जी के इस दोहे का अर्थ समझ लेगा,हिन्दू हमेशा के लिए एकता के सूत्र में बंध जाएगा।

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