कदी आवो नी रसीला जोवां थारी बाट घणी भजन
कदी (कभी तो आवो ) आवो ..................
कदी आवो ..................
कदी आवो नी रसीला (रसिया )
जोवां थारी बाट घणी
कदी आवो नी रसीला
जोवां थारी बाट घणी (जोवां -राह देखना, बात-इन्तजार )
थारी सांवलोडी सूरत रा लाम्बा केश (सांवले रंग की )
जोवां थारी बाट घणी
आवण जावण रो कह गया,
कर गया कौल अनेक,
आवण जावण रो कह गया,
कर गया कौल अनेक,
गिणता गिणता घसी गयी
म्हारी लाल अंगलियाँ री रेख
(कौल-वादे, आने जाने के वादों को गिनते गिनते मेरे लाल अँगुलियों की लकीरें घिस गयी हैं। )
गिणता गिणता घसी गयी
म्हारी लाल अंगलियाँ री रेख
कदी आवो ..................
कदी आवो ..................
कदी आवो नी रासीला
जोवां थारी बाट घणी
सियाले खाटू भला,
उनहाल्ळो अजमेर,
सियाणे खाटू भला,
उनहाल्ळो अजमेर,
नागाणो रो तो नित रो भलो,
म्हारों सावण बीकानेर,
(सियाले-सर्दी, खाटू -नागौर का एक कस्बा, उनहाल्ळो-गर्मी ऋतु, सर्दियों में
कदी आवो ..................
कदी आवो ..................
कदी आवो नी रासीला
जोवां थारी बाट घणी
गान्जो गढ़पती भांग पिए भोपाल,
गान्जो गढ़पती भांग पिए भोपाल,
अमल आरोग्य छत्रपति
दारुड़ी पिए दातार,
कदी आवो ..................
कदी आवो ..................
कदी आवो नी रासीला
जोवां थारी बाट घणी कदी आवो नी रासीला
जोवां थारी बाट घणी जोवां थारी बाट घणी
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