तू ही चामुंडा तू ही माँ ज्वाला भजन
तू ही चामुंडा तू ही माँ ज्वाला
तू ही माँ शेरावाली
कोई कहे है तुझे माँ दुर्गा
कोई कहे माता काली
तू ही चामुंडा तू ही माँ ज्वाला
तू ही माँ शेरावाली
रक्तबीज की खातिर मैया
बनी कालिका माई
मार के उसका खून पी गयी
क्रोध में जब माँ आयी
भक्तो ने तब चैन है पाया
बोलेजय हो महा काली
तू ही चामुंडा तू ही माँ ज्वाला
तू ही माँ शेरावाली
तू ही माँ शेरावाली
महिसासुर और शुम्भ निशुम्भ ने
जब किया अत्याचार है
दुर्गा रूप बनाकर मैया
तुमने ही डाला मार है
शेर की हरदम करे सवारी
कहलाई शेरावाली
तू ही चामुंडा तू ही माँ ज्वाला
तू ही माँ शेरावाली
तू ही माँ शेरावाली
ज्वाला मंदिर में ध्यानु ने
काट कर सर है चढ़ाया
ध्यानु भगत का शीश जोड़कर
भगत का मान है बढ़ाया
मस्ताना माँ बड़ी दयालु
है माँ जोता वाली
तू ही चामुंडा तू ही माँ ज्वाला
तू ही माँ शेरावाली
कोई कहे है तुझे माँ दुर्गा
कोई कहे माता काली
तू ही चामुंडा तू ही माँ ज्वाला
तू ही माँ शेरावाली
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Author - Saroj Jangir
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