चारों दूल्हा में बड़का कमाल सखिया भजन

चारों दूल्हा में बड़का कमाल सखिया लिरिक्स

 
चारों दूल्हा में बड़का कमाल सखिया लिरिक्स Charo Dulha Me Badka Kamal Sakhiya Lyrics

आज मिथिला नगरिया निहाल सखिया,
चारों दूल्हा में बड़का कमाल सखिया।।

शेषमणि मोरिया कुंडल सोहे कनुआ,
कारी कारी कजरारी जुल्मी नयनवा,
लाल चंदन सोहे इनके भाल सखियां,
चारों दूल्हा में बड़का कमाल सखिया।।

श्यामल श्यामल गोरे-गोरे जुड़िया जहान रे,
अखियां ने देख ली नी सुन ली ना कान रे,
जुगे जुगे जीबे जोड़ी बेमिसाल सखिया,
चारों दूल्हा में बड़का कमाल सखिया।।

गगन मगन आज मगन धरतीया,
देखी देखी दूल्हा जी के सांवर सुरतिया,
बालू वृद्ध नर नारी सब बेहाल सखियां,
चारों दूल्हा में बड़का कमाल सखिया।।

जेकरा लागी जोगी मुनि जब-तब कईले,
से मोरे मिथिला में पहने बन के आई ले,
आज लोढ़ा से सैदाई इनके गाल सखियां,
चारों दूल्हा में बड़का कमाल सखिया।।

आज मिथिला नगरिया निहाल सखिया,
चारों दूल्हा में बड़का कमाल सखिया।।
 

यह गीत मिथिला नगरी में श्रीराम और सीता के विवाह के अवसर पर व्याप्त हर्षोल्लास का वर्णन करता है।
आज मिथिला नगरी आनंदित है, क्योंकि चारों दूल्हों में श्रीराम सबसे अद्वितीय हैं। उनके सिर पर मोरपंख की मणि जड़ी हुई है, कानों में कुंडल सुशोभित हैं, काजल से भरी उनकी काली-कजरारी आँखें मनमोहक हैं, और उनके माथे पर लाल चंदन की बिंदी सुशोभित है।

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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