
भोले तेरी भक्ति का अपना ही
गुरु बिन ज्ञान न उपजै शब्दार्थ
उपजे : पैदा होना।गुरु बिन ज्ञान न उपजै हिंदी मीनिंग
दोहे का हिंदी में भावार्थ : साहेब की वाणी है की गुरु के बैगैर मुक्ति नहीं मिलती है क्योंकि व्यक्ति मोह माया में ही उलझा रहता है। गुरु के दिए ज्ञान के अभाव में वह सत्य की पहचान भी नहीं कर पाता है। गुरु के द्वारा सत्य की पहचान करवा देने के उपरान्त ही उसके सारे दोष समाप्त होते हैं। इसी कारण से गुरु को गोविन्द के तुल्य बताया गया है। जगत के माया जनित भ्रम गुरु के ज्ञान के उपरान्त ही दूर होते हैं।