कबीर गुर गरवा मिल्या रलि गया आटे लूंण हिंदी मीनिंग
कबीर गुर गरवा मिल्या, रलि गया आटे लूंण।
जाति पाँति कुल सब मिटैं, नौव घरौगे कौण ।।
kabeer gur garava milya, rali gaya aate loonn.
jaati paanti kul sab mitain, nauv gharauge kaun
Kabir Guru Garava Milya Rali Gaya Aate Lun Hindi Meaning
दोहे का शब्दार्थ - गरवा - गौरवशाली, रलि गया - एकाकार हो गया, लूँण- नमक, नोव -नाम, धरोगे-रखोगे।
दोहे का हिंदी मीनिंग:गुरु की महिमा के सबंध में साहेब का वर्णन है की गुरु अपने शिष्य के साथ आटे में नमक की भाँती घुल मिल जाता है और अपने शिष्य की जाती, कद, ज्ञान आदि का ध्यान नहीं रखता है। ऐसे गौरवशाली गुरु के साथ मिलकर जाती पाँति की सभी पहचान समाप्त हो चुकी है अब कोई कैसे और क्या नाम रखेगा। भाव है की सभी पहचान धूमिल हो गयी हैं। भाव है की कोई भेद नहीं रहता है, सभी भेद समाप्त हो जाते हैं। जाती पाँति का भेद जहाँ होता है वह गुरु नहीं हो सकता, गुरु के समक्ष कोई भेद नहीं रह सकता है, सभी एकाकार हो जाते हैं।
साधु कहावन कठिन है, लम्बी पेङ खजूर।
चढ़ूं तो चाखै प्रेमरस, गिरूं तो चकनाचूर॥
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