कबीर सतगुर ना मिल्या रही अधूरी सीष हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे

कबीर सतगुर ना मिल्या रही अधूरी सीष हिंदी मीनिंग Kabir Satgur Na Milya Rahi Adhuri Sheesh Hindi Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Meaning

 
कबीर सतगुर ना मिल्या, रही अधूरी सीष ।
स्वांग जती का पहरि करि, घरि-घरि माँगे भीष ॥

Kabir Satguru Na Miliya Rahi Adhuri Sheekh,
Swang Jati Ka Pahri Kari, Ghari Ghari Mange Bheekh.
 
कबीर सतगुर ना मिल्या रही अधूरी सीष हिंदी मीनिंग Kabir Satgur Na Milya Rahi Adhuri Sheesh Meaning
 

Kabir Satguru Na Milya Hindi Meaning

कबीर सतगुर ना मिल्या शब्दार्थ - शीष- शिक्षा, जती = यती, स्वांग- वेशभूषा, का पहरि करि-पहन कर ।

कबीर सतगुर ना मिल्या दोहे का हिंदी भावार्थ हिंदी मीनिंग

बाह्य आडंबर और स्वांग के खंडन के सबंध में वाणी है की सन्यासी का (साधू ) का भेष धारण तो कर लिया लेकिन यह अधूरा ही रहा और उन्हें सतगुरु कभी प्राप्त ना हो पाया। उन्होंने वेश धारण तो कर लिया लेकिन यह एक तरह से स्वांग ही रहा क्योंकि उन्होंने मन से भक्ति को स्वीकार नहीं किया। यदि सतगुरु श्रेष्ठ है तो वह आत्मिक कल्याण और मन से वैराग्य को महत्त्व देता है और स्वांग का खंडन करता है। मात्र स्वांग धरने वालों की भक्ति अधूरी ही रह जाती है।
गुरू पारब्रह्म परमेश्वर, निखलेश्वरमय जग सारा।
गुरू नाम जपे हर धङकन, बोले मन का इकतारा।
ओम गुरू, ओम गुरू, ओम गुरू।

गुरू दोष मेरे सब लेलो, मेरे अंतर के पट खोलो।
बस जाओ मेरे ह्रदय में, मुझे अपनी शरण में लेलो।
मेरा मन माया में भटके, तुम दे दो जरा सहारा।
गुरू नाम जपे हर धङकन, बोले मन का इकतारा।
ओम गुरू, ओम गुरू, ओम गुरू।
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