
भोले तेरी भक्ति का अपना ही
Kabir Satguru Na Milya Hindi Meaning
कबीर सतगुर ना मिल्या शब्दार्थ - शीष- शिक्षा, जती = यती, स्वांग- वेशभूषा, का पहरि करि-पहन कर ।कबीर सतगुर ना मिल्या दोहे का हिंदी भावार्थ हिंदी मीनिंग
बाह्य आडंबर और स्वांग के खंडन के सबंध में वाणी है की सन्यासी का (साधू ) का भेष धारण तो कर लिया लेकिन यह अधूरा ही रहा और उन्हें सतगुरु कभी प्राप्त ना हो पाया। उन्होंने वेश धारण तो कर लिया लेकिन यह एक तरह से स्वांग ही रहा क्योंकि उन्होंने मन से भक्ति को स्वीकार नहीं किया। यदि सतगुरु श्रेष्ठ है तो वह आत्मिक कल्याण और मन से वैराग्य को महत्त्व देता है और स्वांग का खंडन करता है। मात्र स्वांग धरने वालों की भक्ति अधूरी ही रह जाती है।