मानसरोवर सुभग जल हंसा केलि कराहि-हिंदी मीनिंग/भावार्थ
मानसरोवर सुभग जल हंसा केलि कराहि
मुकताफल मुकता चुगै अब उड़ी अनत न जाही।
Maanasarovar Subhag Jal Hansa Keli Karaahi
Mukataaphal Mukata Chugai Ab Udee Anat Na Jaahee.
Or
Mansarovar Subhag Jal, Hansa Keli Karahi,
Mukta Fal Mukata Chuge Aub Udi Anat Na Jahi.
मानसरोवर सुभग जल हंसा केलि कराहि शब्दार्थ
मानसरोवर = शून्य शिखर में स्थित अमृत कुंड, सुभर = अच्छी तरह भरा, जल - अमृत, हंसा-आत्मा, मुक्ताहल - मुक्ति का फल, मुक्ता-मुक्ति।
मानसरोवर सुभग जल हंसा केलि कराहि शब्दार्थ हिंदी मीनिंग
मानसरोवर रूपी कुंड में अमृत रूपी जल भरा है। आत्मा रूपी हंस उसमे क्रीड़ा कर रहा है और जीवात्मा शून्य शिखर तक पहुँच चुकी है, मस्त होकर क्रीड़ा कर रही है। जीवात्मा स्वछंद रूप से मुक्ताफल चुनने में व्यस्त है और इस परम आनंद को छोड़कर विषय वासनाओं के सुख की प्राप्ति की उसे आशा नहीं है। अब वह कहीं और नहीं जाना चाहती है। इस साखी में रूपक, श्लेष और अन्योक्ति अलंकारों का प्रयोग किया गया है।
कई स्थानों पर इसकी व्याख्या में कहा गया है की जैसे हंस मानसरोवर में मोती चुनने में व्यस्त /मस्त हो जाता है वैसे ही जीवात्मा इस संसार में ही रहना चाहती है, लेकिन इसका ऐसा भाव मुझे समझ में नहीं आता है।
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