संतौं भाई आई ग्याँन की आँधी रे हिंदी मीनिंग
संतौं भाई आई ग्याँन की आँधी रे ।
भ्रम की टाटी सबै उड़ानी , माया रहै न बाँधी ॥
हिति चित्त की द्वै थूँनी गिराँनी, मोह बलिण्डा तूटा ।
त्रिस्नाँ छाँनि परि घर ऊपरि , कुबुधि का भाण्डा फूटा॥
जोग जुगति करि संतौं बाँधी , निरचू चुवै न पाँणी ।
कूड़ कपट काया का निकस्या , हरि की गति जब जाँणी॥
आँधी पीछै जो जल बूठा , प्रेम हरि जन भींनाँ ।
कहै कबीर भाँन के प्रगटै , उदित भया तम खीनाँ ॥
Santaun Bhaee Aaee Gyaann Kee Aandhee Re .
Bhram Kee Taatee Sabai Udaanee , Maaya Rahai Na Baandhee .
Hiti Chitt Kee Dvai Thoonnee Giraannee, Moh Balinda Toota .
Trisnaan Chhaanni Pari Ghar Oopari , Kubudhi Ka Bhaanda Phoota.
Jog Jugati Kari Santaun Baandhee , Nirachoo Chuvai Na Paannee .
Kood Kapat Kaaya Ka Nikasya , Hari Kee Gati Jab Jaannee.
Aandhee Peechhai Jo Jal Bootha , Prem Hari Jan Bheennaan .
Kahai Kabeer Bhaann Ke Pragatai , Udit Bhaya Tam Kheenaan .
संतौं भाई आई ग्याँन की आँधी रे शब्दार्थ : ज्ञान की आंधी-ज्ञान का प्रकाश, आंधी-अज्ञान को उड़ा ले जाने वाली, भ्रम-अज्ञान, टाटी-छपरिया, बलिण्डा -छत को आपस में जोड़ने वाली मोती लकड़ी (बलिया), थूनी-टाट को एक जगह जहाँ बाँधा जाता है, तृष्णा-माया, कामना, निरचू चुवै न पाँणी -पानी नहीं चूता है, जोग जुगति करि संतौं बाँधी-यत्नपूर्वक बनायी गयी झोपड़ी, कूड़ कपट काया का निकस्या-काया का अंधकार निकल गया, आँधी पीछै जो जल बूठा-आंधी के पश्चात जो जल बरसा है, तम खीनाँ-अंधकार दूर हो जाता है।
संतौं भाई आई ग्याँन की आँधी रे हिंदी मीनिंग : गुरु ज्ञान का जब प्रकाश होता है तब विषय विकारो का अँधेरा दूर हो जाता है। गुरु से प्राप्त ज्ञान की तीव्र धारा में भ्रम, माया और तृष्णा की टाटी (आश्रय ) उड़ जाता है। भ्रम और अज्ञान अब यहाँ नहीं रह सकता है। लोभ के खम्बे गिरने लगते हैं और मोह का बलिण्डा टूटने लग पड़ता है। जब तृष्णा को बांधे रखने वाले माया रूपी भंबे टूटने लग जाते हैं तो छान (छत ) टूटकर अंदर गिरती है और कुबुद्धि का भांडा फूटने लग जाता है। आंधी के पश्चात् होने वाली बरसात से (ज्ञान की बरसात ) से समय के साथ इकठ्ठा हो चूका कूड़ा करकट भी साफ़ हो जाता है।
इस ज्ञान की बरसात में सभी ग्यानी जन भीग जाते हैं। ज्ञान के प्रकाश के कारन मोह माया का अँधेरा दूर होने लगता है। वस्तुतः इस शबद में कबीर साहेब ज्ञान की महिमा के बारे में बता रहे हैं और ज्ञान को आंधी का रूप देकर परिणामों के बारे में भी बता रहे हैं। ज्ञान की आंधी से अज्ञान का अँधेरा दूर हो जाता है और उसे प्रशय देने वाले तत्व जैसे तृष्णा, मोय और माया सब समाप्त हो जाते हैं।
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