ना गुर मिल्या न सिष भया लालच खेल्या डाव हिंदी मीनिंग
ना गुर मिल्या न सिष भया, लालच खेल्या डाव।
दुन्यू बूड़े धार मैं, चढ़ि पाथर की नाव ।।
Na Gur Milya Na Sish Bhaya, Laalach Khelya Daav.
Dunyoo Boode Dhaar Main, Chadhi Paathar Kee Naav
शब्दार्थ: सिष- शिष्य, डाव -दाँव, बूड़े -डूबे, बूड़े धार-बहाव में डूब गए, पाथर की नांव-पत्थर की नांव।
दोहे का हिंदी मीनिंग: सच्चे गुरु के अभाव में शिष्य कुछ भी नहीं सीख सकता है। गुरु स्वंय माया के जाल में फंसा हुआ है तो वह कैसे अपने शिष्य को ज्ञान का प्रकाश दे सकता है। ऐसा गुरु और शिष्य दोनों ही स्वार्थ और माया के वश में होकर सिर्फ लालच का दाव खेलते हैं।
उनके लिए मान सम्मान का आधार मात्र माया और लालच ही होता है। इसलिए साहेब ने गुरु की महिमा के साथ ही गुरु की पहचान को प्रमुखता से वर्णित किया है। ऐसे अंधे गुरु का चेला भी अँधा हो जाता है और दोनों ही पत्थर की नांव में सवार होकर डूब जाते हैं। जहाँ गुरु अपना ज्ञान प्रज्वलित करे वही शिष्य की योग्यता होनी चाहिए की वह सच्चे गुरु का चयन कर पाए। यदि शिष्य ने सच्चे गुरु का चयन नहीं किया है तो दोनों ही भवसागर को पार नहीं पाएंगे।
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