जग से हुआ मैं लाचार आया शरण तुम्हारी मेरे सांवरे

जग से हुआ मैं लाचार आया शरण तुम्हारी मेरे सांवरे

जग से हुआ मैं लाचार,
आया शरण तुम्हारी मेरे सांवरे,
जग से हुआ मैं लाचार।।

जन्मों की प्यासी,
अखियां मुरारी तुम्हें ढूंढ़ रही हैं,
कहां पे मिलेंगे,
बांके बिहारी सबसे पूछ रही हैं,
दर दर पे करता मैं पुकार,
आया शरण तुम्हारी मेरे सांवरे,
जग से हुआ मैं लाचार।।

मीरा के जैसा,
भाव नहीं है कैसे तुमको रिझाऊं,
विदुरानी जैसा,
साग नहीं है कैसे भोग लगाऊं,
कैसे करूं मैं सत्कार,
आया शरण तुम्हारी मेरे सांवरे,
जग से हुआ मैं लाचार।।

गज को उबारा,
गणिका को तारा वैसे मुझे भी उबारो,
दाता दयालु,
दया दृष्टि करके एक बार निहारो,
कर दो अधम का बेड़ा पार,
आया शरण तुम्हारी मेरे सांवरे,
जग से हुआ मैं लाचार।।

निर्धन दुखी की,
दशा देख करके सारा हंसता ज़माना,
रूठे ज़माना कोई,
परवाह नहीं है प्यारे तुम ना भुलाना,
विनती ‘किशन’ से बार-बार,
आया शरण तुम्हारी मेरे सांवरे,
जग से हुआ मैं लाचार।।

जग से हुआ मैं लाचार,
आया शरण तुम्हारी मेरे सांवरे,
जग से हुआ मैं लाचार।।


Jag se Hua Lachar // Krishna Bhajan | Vivek Singhal Khatu Shyam Ji Bhajan 2023

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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