कितना प्यारा है श्रृंगार, की तेरी लेऊं नजर उतार, कितना प्यारा है, ओ हो कितना प्यारा है श्रृंगार, की तेरी लेऊं नजर उतार, कितना प्यारा है।
सांवरिया तुमको किसने सजाया है, तुझे सुन्दर से सुन्दर कजरा पहनाया है, कितना प्यारा हैं श्रृंगार, की तेरी लेऊं नजर उतार, कितना प्यारा है।
केशर चन्दन तिलक लगाकर, सज धज कर के बैठ्यो है, लग गए तेरे चार चांद जो, पहले तो निहार, कितना प्यारा है,
ओ हो कितना प्यारा हैं श्रृंगार, की तेरी लेऊं नजर उतार, कितना प्यारा है, सांवरिया तेरा चेहरा चमकता है, तेरा कीर्तन बहुत बड़ा, दरबार महकता है कितना प्यारा है, ओ हो कितना प्यारा हैं श्रृंगार, की तेरी लेऊं नजर उतार, कितना प्यारा है।
किसी भक्त से कह कर कान्हा, काली टिकी लगवाले, या फिर तू बोले तो लेऊं, नूनराई वार कितना प्यारा है, ओ हो कितना प्यारा हैं श्रृंगार, की तेरी लेऊं नजर उतार, कितना प्यारा हैं।
सांवरिया तेरे भक्तों को तेरी फिक्र,
Krishna Bhajan Lyrics Hindi
कही लग ना जाये तुझे, दुनिया की बुरी नजर कितना प्यारा है, ओ हो कितना प्यारा हैं श्रृंगार, की तेरी लेऊं नजर उतार, कितना प्यारा है।
पता नहीं तू किस रंग का है, आज तलक ना जान सकी, बनवारी हमने देखे है तेरे रंग हजार, कितना प्यारा हैं, ओ हो कितना प्यारा है श्रृंगार, की तेरी लेऊं नजर उतार, कितना प्यारा है।
सांवरिया थोड़ा बच बच के रहना जी, कभी मान भी लो कान्हा, भक्तो का कहना जी, कितना प्यारा है, ओ हो कितना प्यारा हैं श्रृंगार,
की तेरी लेऊं नजर उतार, कितना प्यारा है।
सांवरिया तेरा रोज करू श्रृंगार, कभी कुटिया में मेरे, आजा ओ एक बार कितना प्यारा है, ओ हो कितना प्यारा है श्रृंगार, की तेरी लेऊं नजर उतार, कितना प्यारा है।
खाटू श्याम जी का श्रृंगार अत्यंत मनमोहक और दिव्य है। प्रतिदिन उनके दरबार में विशेष प्रकार से सजावट की जाती है। जिसमें मोर मुकुट, रेशमी वस्त्र, सुंदर फूलों की मालाएं और भाल पर चंदन का तिलक विशेष रूप से शामिल होते हैं। उनका रूप इतना आकर्षक होता है कि हम उनकी एक झलक पाने के लिए घंटों इंतजार करते हैं। श्रृंगार के दौरान उनका हर अंग अलौकिक आभा से दमकता है। मानो स्वयं भगवान साकार रूप में हमें दर्शन दे रहे हों। श्याम बाबा के इस दिव्य रूप को देखकर हमारा मन शांति, भक्ति और आनंद से भर जाता है। जय श्री श्याम।
Kitna Pyara Hai Shringar | कितना प्यारा है श्रृंगार | Shyam Bhajan| Latest Khatu Shyam Bhajan 2025
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साँवरिया का श्रृंगार इतना रंगीन है कि भक्त की नजरें ठहर जाती हैं। केशर-चंदन का तिलक, काजल से सजे नैन—मानो स्वयं सौंदर्य उनके चरणों में नतमस्तक हो। भक्त का मन उनकी सुंदरता पर मोहित है, और वह नजर उतारने को व्याकुल है, जैसे कोई माँ अपने लाल को बुरी नजर से बचाए। साँवरिया का चमकता चेहरा और उनके कीर्तन से महकता दरबार भक्त के हृदय को भक्ति की सुगंध से भर देता है।
भक्त प्रेम से पूछता है, हे कान्हा, किसने तुम्हें इतना सजाया? वह चाहता है कि काली टीकी लगाकर साँवरिया को हर नजर से बचाया जाए। उनके रंग अनगिनत हैं—कभी एक, कभी हजार—फिर भी उनका रहस्य अनछुआ रहता है। भक्त की इच्छा है कि साँवरिया उसकी कुटिया में पधारें, ताकि वह रोज उनका श्रृंगार कर सके।
भक्तों का मन साँवरिया की चिंता में डूबा है। वे कहते हैं, थोड़ा बचकर रहो, हमारे कहने को मान लो। यह केवल श्रृंगार का गान नहीं, बल्कि वह प्रेम है, जो भक्त को साँवरिया के हर रूप में बाँध लेता है। उनकी एक झलक से भक्त का जीवन कृतार्थ हो जाता है।
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