कॄपा दृष्टि भगवन दिखानी पड़ेगी

कॄपा दृष्टि भगवन दिखानी पड़ेगी

(मुखड़ा)
कृपा दृष्टि भगवन दिखानी पड़ेगी,
कभी दिल में भक्तों के आकर तो देखो।
विरह वेदना में कोई जल न जाए,
विरह अग्नि दिल से बुझाकर तो देखो।
कभी दिल में भक्तों के आकर तो देखो।।

(तर्ज – तुम्हें दिल लगी भूलनी पड़ेगी)

(अंतरा 1)
झलक दिल में जबसे दिखाए हो कान्हा,
मुश्किल हुआ तब से जीवन बिताना।
कभी मूर्ति दिल से हटाकर तो देखो,
कभी दिल में भक्तों के आकर तो देखो।।

(अंतरा 2)
बहुत हो चुका अब करो न किनारा,
हमें सिर्फ भगवन तेरा ही सहारा।
अब पार नैया लगाकर तो देखो,
कभी दिल में भक्तों के आकर तो देखो।।

(अंतरा 3)
बड़ी मुद्दतों से जगत में हैं आए,
बिना दरश जीवन व्यर्थ ही गंवाए।
तो 'गौतम' की बिगड़ी बनाकर तो देखो,
कभी दिल में भक्तों के आकर तो देखो।।

(पुनरावृत्ति मुखड़ा)
कृपा दृष्टि भगवन दिखानी पड़ेगी,
कभी दिल में भक्तों के आकर तो देखो।
विरह वेदना में कोई जल न जाए,
विरह अग्नि दिल से बुझाकर तो देखो।
कभी दिल में भक्तों के आकर तो देखो।।


कभी दिल में भक्तों के आकर तो देखो !! Kabhi Dil Mein Bhakton Ke Akar ! bhakti song

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bhakti song ! कभी दिल में भक्तों के आकर तो देखो !! Kabhi Dil Mein Bhakton Ke Akar
Bhajan Krupa Drashti Bhagwan Dikhani Padegi
Singer Janhavi Vishwakarma
Lyrics Pt.Brajmohan Gautam ji

Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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