इतना बता दे दाती तेरा कैसे दर्श पायें

इतना बता दे दाती तेरा कैसे दर्श पायें

इतना बता दे दाती,
तेरा कैसे दर्श पायें,
दरशन की लालसा माँ,
मेरे दिल में है समाये।।

खाया है मैंने धोखा,
अपनों से जिंदगी में,
सुख चैन शांति मिलती,
बस तेरी बंदगी में,
चरणों में बैठ तेरे,
तेरा नाम गुनगुनायें,
इतना बता दे दाती,
तेरा कैसे दर्श पायें।।

मुझको ना चाहिए माँ,
दुनिया के हीरे मोती,
मन में यही तमन्ना,
गर पास मेरे होती,
बनकर तेरा पुजारी,
सेवा तुम्हारी चाहें,
इतना बता दे दाती,
तेरा कैसे दर्श पायें।।

दर-दर है क्यों भटकता,
मंदिर बना ले मन को,
बाती बना ले खुद की,
ज्योति का पात्र तन को,
श्रद्धा से जो जलाये,
कभी ज्योत बुझ ना पाये,
इतना बता दे दाती,
तेरा कैसे दर्श पायें।।

दीनों के दर्दे दिल में,
माँ की दिखेगी सूरत,
स्वार्थ की चाहतों की,
माँ को नहीं जरूरत,
दरशन की तेरी इच्छा,
‘परशुराम’ को सताये,
इतना बता दे दाती,
तेरा कैसे दर्श पायें।।

इतना बता दे दाती,
तेरा कैसे दर्श पायें,
दरशन की लालसा माँ,
मेरे दिल में है समाये।।

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