हम गुरु गुरुनाथ रे नानक नाम हमारा रे
साजन आया मैं सुन्या, कैसी जुगत करां
थाल भराणा मोतीये, उस पर नैन धरां
तीरथ तकिया छोड़ दे, मन का तकिया जान
गुरु बिना ज्ञान न मिले, और गुरु बिना भगवान
चाहे जाईं मंदर मसीते, भांवे पढ़ी वेद कुरान
करम-ए-इलाही शबद पिछाणी, जो प्रेम नगर पैकान
पिपर में पर्मेश्वर, बबूर में को ब्यो
निवड़त करीं थैं निम जी, कंढो कें कयो
मंदर ईं मसीत में, रोशन हिक डियो
इसलाम चैं अल्लाह कयो, कुफ़्र कैं कयो?
रोहल कैं विधो खलल मची हिन खल्क में?
हम गुरु गुरुनाथ रे, नानक नाम हमारा रे
हर घट गाम हमारा रे
कान्ह कन्हैया करमण मैं हूं, शीतल सीता लछमण मैं हूं
करो ना मेरी काथ रे, इकता काम हमारा
सुनो सुनाऊं शब्द निराली, असल ओथाईं अनहद वाली
साज़ आवाज़ के साथ रे, मेल मुदाम हमारा रे
आदम हव्वा की सूरत हूं, मीम अईन की मूरत हूं
अरब अजम अरफ़ाज़ रे, धूम धमाम हमारा रे
आप में आप समाया हूं, ओले ऐजाज़ कहवाया हूं
सब को बांधू हाथ रे, सब को सलाम हमारा रे
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