मुरली बजा के मोहना क्यों कर लिया भजन

मुरली बजा के मोहना क्यों कर लिया किनारा भजन

मुरली बजा के मोहना क्यों कर लिया भजन
 
मुरली बजा के मोहना क्यों कर लिया किनारा।
अपनों से हाय कैसा व्यवहार है तुम्हारा॥

ढूंढा गली गली में, खोजा डगर डगर में।
मन में यही लगन है, दर्शन मिले दुबारा॥
मुरली बजा के मोहना...

मधुबन तुम्ही बताओ, मोहन कहाँ गया है।
कैसे झुलस गया है, कोमल बदन तुम्हारा॥
मुरली बजा के मोहना...

यमुना तुम्हीं बताओ, छलिया कहाँ गया है।
तूँ भी छलि गयी है, कहती है नील धारा॥
मुरली बजा के मोहना...

दुनियां कहे दीवानी, मुझे पागल कहे जमाना।
पर तुमको भूल जाना, हमको नहीं गवांरा॥
मुरली बजा के मोहना...


Murli Bajake Mohna Kali Kamli Wale Maine by Vinod Agarwal [Krishna Bhajan] I Shyam Ghan Kab Barsoge

हे नाथ नारायण वासुदेवाय!!
जय श्री राधे कृष्णा जी
ॐ श्री कृष्णाय असुरा क्रान्तं भारहारिणी नमः ॥
ॐ श्री कृष्णाय असुरा क्रान्तं भारहारिणी नमः ॥
ॐ श्री कृष्णाय असुरा क्रान्तं भारहारिणी नमः ॥
ॐ श्री कृष्णाय असुरा क्रान्तं भारहारिणी नमः ॥
ॐ श्री कृष्णाय असुरा क्रान्तं भारहारिणी नमः ॥
ॐ श्री कृष्णाय असुरा क्रान्तं भारहारिणी नमः ॥
ॐ श्री कृष्णाय असुरा क्रान्तं भारहारिणी नमः ॥
ॐ श्री कृष्णाय असुरा क्रान्तं भारहारिणी नमः ॥
श्री कृष्ण शरणम ममः

श्रीकृष्णजी की मुरली की धुन ऐसी है कि एक बार सुनने के बाद मन उनके बिना अधूरा सा लगता है। भक्त की पुकार में वो तड़प है कि क्यों मोहना ने अपनों से दूरी बना ली। जैसे कोई प्रिय से बिछड़कर उसे हर गली-नुक्कड़ में ढूंढे, वैसे ही भक्त का मन उनके दर्शन के लिए बेकरार है।

मधुबन की हरियाली और यमुना की नीली धारा भी उनके बिना सूनी लगती है। भक्त का मन पूछता है कि वो छलिया कहां खो गया, जिसके बिना सारा संसार फीका पड़ गया। जैसे कोई प्यासा कुएं के पास पहुंचकर भी पानी को तरसे, वैसे ही भक्त की लगन उनके दर्शन की आस में जल रही है।

दुनिया भले दीवानी कहे, जमाना पागल ठहराए, पर श्रीकृष्णजी को भूलना भक्त के लिए नामुमकिन है। उनका प्रेम ऐसा है कि मन उनकी याद में डूबा रहता है, जैसे कोई दीया रात-भर जलता रहे।

जीवन का सच यही है कि श्रीकृष्णजी की मुरली का राग मन को बांध लेता है। बस सच्चे मन से उनकी पुकार करो, तो वो फिर से पास आ जाते हैं, जैसे कोई सखा अपनी मुरली की तान से सबको रिझा ले।
 
श्री कृष्ण को मोहन इसलिए कहा जाता है क्योंकि उनका स्वरूप, उनका चरित्र और उनकी बांसुरी की धुन इतनी मनमोहक है कि वह हर किसी के मन को मोह लेती है। "मोहन" शब्द का अर्थ ही है "जो मन को मोह ले" या "जो आकर्षित करे"। उनकी मनमोहक छवि केवल उनकी सुंदरता तक सीमित नहीं है। उनकी मधुर मुस्कान, उनकी चंचल लीलाएं और उनके प्रेमपूर्ण व्यवहार ने न केवल गोपियों और ग्वालों को, बल्कि पूरे ब्रज मंडल को मोहित कर दिया था। यहाँ तक कि पशु-पक्षी, नदियाँ और पेड़-पौधे भी उनकी बांसुरी की धुन सुनकर मंत्रमुग्ध हो जाते थे।

कृष्ण का मोहन स्वरूप केवल बाहरी आकर्षण नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक शक्ति है। यह भक्तों को सांसारिक मोह-माया से हटाकर ईश्वर के प्रेम की ओर आकर्षित करता है। यही कारण है कि उन्हें मोहन कहा जाता है, क्योंकि वे अपनी अलौकिक शक्ति से हर जीव के मन को अपनी ओर खींच लेते हैं। 
 
Krishan Bhajan: Murli Bajake Mohna, Shyam Milan Ka, Kaali Kamli Wale Maine
Album Name: Shyam Ghan Kab Barsoge
Singer: Vinod Agarwal
Composer: Dinesh Kumar
Lyrics: Traditional 
 
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