छोड़ो मत अपनी आन सीस कट जाए

छोड़ो मत अपनी आन सीस कट जाए

 छोड़ो मत अपनी आन, सीस कट जाए..
मत झुको अन्याय पर, भले व्योम फट जाए।।
दो बार नहीं यमराज कंठ धरता है..
मरता है जो, एक बार ही मरता है।।

तुम स्वयं मरण के मुख पर चरण धरो रे..
जीना हो तो मरने से नहीं डरो रे।।

स्वातंत्र्य जाति की लगन, व्यक्ति की धुन है..
बाहरी वस्तु यह नहीं, भीतरी गुण है।।
नत हुए बिना जो अशनि-घात सहती है..
स्वाधीन जगत में वही जाति रहती है।।
वीरत्व छोड़ मत, पर का चरण गहो रे..
जो पड़े आन, खुद ही सब आग सहो रे।।

आंधियां नहीं जिसमें उमंग भरती हैं..
छातियां जहां संगीनों से डरती हैं..
शोणित के बदले जहां अश्रु बहता है..
वह देश कभी स्वाधीन नहीं रहता है।।

पकड़ो अयाल, अंधड़ पर उछल चढ़ो रे..
किरिचों पर अपने तन का चाम मढ़ो रे।।

उद्देश्य जन्म का नहीं कीर्ति या धन है..
सुख नहीं, धर्म भी नहीं, न तो दर्शन है।।
विज्ञान, ज्ञान वश नहीं, न तो चिंतन है..
जीवन का अंतिम ध्येय स्वयं जीवन है।।

सबसे स्वतंत्र यह रस जो अनघ पिएगा..
पूरा जीवन केवल वह वीर जिएगा।।


Ramdhari Singh Dinkar - #Patriotic Motivational Poem/ Come On India Spirit Up
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