अंखियाँ हरि दरसन की प्यासी लिरिक्स Ankhiya Hari Darsan Ki Pyasi Bhajan Lyrics

अंखियाँ हरि दरसन की प्यासी लिरिक्स Ankhiya Hari Darsan Ki Pyasi Bhajan Lyrics

 
अंखियाँ हरि दरसन की प्यासी लिरिक्स Ankhiya Hari Darsan Ki Pyasi Bhajan Lyrics

अंखियाँ हरि दरसन की प्यासी
अंखियाँ हरि दरसन की प्यासी
देख्यौ चाहति कमलनैन कौ,
निसि-दिन रहति उदासी।।

आए ऊधै फिरि गए आँगन,
डारि गए गर फांसी।

केसरि तिलक मोतिन की माला,
वृन्दावन के बासी।।

काहू के मन को कोउ न जानत,
लोगन के मन हांसी।

सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस कौ,
करवत लैहौं कासी।।

अँखियाँ हरि दरसन की प्यासी - मौहम्मद रफी

ankhiyaan hari darasan kee pyaasee.
dekhyau chaahati kamalanain kau,
nisi-din rahati udaasee..
aae oodhai phiri gae aangan,
daari gae gar phaansee.
kesari tilak motin kee maala,
vrndaavan ke baasee..
kaahoo ke man ko kou na jaanat,
logan ke man haansee.
sooradaas prabhu tumhare daras kau,
karavat laihaun kaasee.. 

अँधियरवा में ठाढ़ गोरी का करलू॥टेक॥
जब लग तेल दिया में बाती, येहि अँजीरवा बिछाय घलतू॥1॥
मन का पलँग सँतोष बिछौना, ज्ञान क तकिया लगाय रखतू॥2॥
जरिगा तेल बुझाय गइ बाती, सुरेति में मुरति समाय रखतू॥3॥
कहै कबीर सुनो भाइ साधो, जोतिया में जोतिया मिलाय रखतू॥4॥



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