बिरहिनी मंदिर दियना बार भजन
गुरु के चरनन की, रज लेके,
दो नैनन में, अंजन दिया,
मन माहीं उजियार हुआ,
जब निरंकार को देख लिया,
ओ बिरहिनी मंदिर दियना बार
बिरहिनी मंदिर दियना बार,
बिन बाती बिन तेल जुगति सों बिन दीपक उजियार,
प्रानपिया मेरे गृह आयो, रचि-रचि सेज संवार,
सुखमन सेज परमतत रहिया, पिया निर्गुन निरकार,
गावहु री मिलि आनंद मंगल, यारी मिलि के यार,
रसना राम कहत तें थाको,
पानी कहे कहुं प्यास बुझत है, प्यास बुझे जदि चाखो,
पुरुष-नाम नारी ज्यों जानै, जानि बूझि जनि थाखो,
दृष्टि से मुष्टि नहिं आवै, नाम निरंजन वाको,
गुरु परताप साध की संगति, उलट दृष्टि जब ताको,
यारी कहै सुनो भाई संतो, बज्र बेधि कियो नाको,
Sadho Hari Bin Jag Andhiyara guru ke charanan kee, raj leke,
do nainan mein, anjan diya,
man maaheen ujiyaar hua,
jab nirankaar ko dekh liya,
o birahinee mandir diyana baar
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