जय राम रमा रमनं शमनं श्री रामभद्राचार्य जी लिरिक्स Jay Ram Ramaa Raman Lyrics

जय राम रमा रमनं शमनं -श्री रामभद्राचार्य जी लिरिक्स Jay Ram Ramaa Raman Shaman by Shri Rambhadracharya Ji Lyrics Shri Ram Bhajan

 
जय राम रमा रमनं शमनं श्री रामभद्राचार्य जी लिरिक्स Jay Ram Ramaa Raman Lyrics

जय राम रमा रमनं समनं,
भव ताप भयाकुल पाहि जनम,
अवधेस सुरेस रमेस बिभो,
सरनागत मागत पाहि प्रभो,
राजा राम, राजा राम,
सीता राम,सीता राम,

दससीस बिनासन बीस भुजा,
कृत दूरी महा महि भूरी रुजा,
रजनीचर बृंद पतंग रहे,
सर पावक तेज प्रचंड दहे,
राजा राम, राजा राम,
सीता राम,सीता राम,

महि मंडल मंडन चारुतरं,
धृत सायक चाप निषंग बरं,
मद मोह महा ममता रजनी,
तम पुंज दिवाकर तेज अनी,
राजा राम, राजा राम,
सीता राम,सीता राम,

मनजात किरात निपात किए,
मृग लोग कुभोग सरेन हिए,
हति नाथ अनाथनि पाहि हरे,
बिषया बन पावँर भूली परे,
राजा राम, राजा राम,
सीता राम,सीता राम,

बहु रोग बियोगन्हि लोग हए,
भवदंघ्री निरादर के फल ए,
भव सिन्धु अगाध परे नर ते,
पद पंकज प्रेम न जे करते,
राजा राम, राजा राम,
सीता राम,सीता राम,

अति दीन मलीन दुखी नितहीं,
जिन्ह के पद पंकज प्रीती नहीं,
अवलंब भवंत कथा जिन्ह के,
प्रिय संत अनंत सदा तिन्ह के,
राजा राम, राजा राम,
सीता राम,सीता राम,

नहीं राग न लोभ न मान मदा,
तिन्ह के सम बैभव वा बिपदा,
एहि ते तव सेवक होत मुदा,
मुनि त्यागत जोग भरोस सदा,
राजा राम, राजा राम,
सीता राम,सीता राम,

करि प्रेम निरंतर नेम लिएँ,
पड़ पंकज सेवत सुद्ध हिएँ,
सम मानि निरादर आदरही,
सब संत सुखी बिचरंति मही,
राजा राम, राजा राम,
सीता राम,सीता राम,

मुनि मानस पंकज भृंग भजे,
रघुबीर महा रंधीर अजे,
तव नाम जपामि नमामि हरी,
भव रोग महागद मान अरी,
राजा राम, राजा राम,
सीता राम,सीता राम,

गुण सील कृपा परमायतनं,
प्रणमामि निरंतर श्रीरमनं,
रघुनंद निकंदय द्वंद्वघनं,
महिपाल बिलोकय दीन जनं,
राजा राम, राजा राम,
सीता राम,सीता राम,

बार बार बर मागऊँ हरषी देहु श्रीरंग,
पद सरोज अनपायनी भगति सदा सतसंग,
बरनि उमापति राम गुन हरषि गए कैलास,
तब प्रभु कपिन्ह दिवाए सब बिधि सुखप्रद बास,


श्री राम की महिमा
श्री राम हिंदू धर्म के सबसे लोकप्रिय और पूजनीय देवताओं में से एक हैं। वे एक आदर्श राजा, एक दयालु और करुणामय व्यक्ति, और एक महान योद्धा के रूप में जाने जाते हैं। श्री राम का जन्म अयोध्या में दशरथ और कौशल्या के घर हुआ था। वे भगवान विष्णु के सातवें अवतार थे। उनके जन्म से पहले, उनके पिता दशरथ ने एक यज्ञ किया था, जिसमें उन्होंने भगवान से एक पुत्र का आशीर्वाद मांगा था। भगवान विष्णु ने दशरथ की इच्छा पूरी की और उन्हें श्री राम के रूप में एक पुत्र दिया।

जय राम रमा रमनं शमनं by श्री रामभद्राचार्य जी
jay raam rama ramanan samanan,
bhav taap bhayaakul paahi janam,
avadhes sures rames bibho,
saranaagat maagat paahi prabho,
raaja raam, raaja raam,
seeta raam,seeta raam,

dasasees binaasan bees bhuja,
krt dooree maha mahi bhooree ruja,
rajaneechar brnd patang rahe,
sar paavak tej prachand dahe,
raaja raam, raaja raam,
seeta raam,seeta raam,

mahi mandal mandan chaarutaran,
dhrt saayak chaap nishang baran,
mad moh maha mamata rajanee,
tam punj divaakar tej anee,
raaja raam, raaja raam,
seeta raam,seeta raam,

manajaat kiraat nipaat kie,
mrg log kubhog saren hie,
hati naath anaathani paahi hare,
bishaya ban paavanr bhoolee pare,
raaja raam, raaja raam,
seeta raam,seeta raam,

bahu rog biyoganhi log hae,
bhavadanghree niraadar ke phal e,
bhav sindhu agaadh pare nar te,
pad pankaj prem na je karate,
raaja raam, raaja raam,
seeta raam,seeta raam,

ati deen maleen dukhee nitaheen,
jinh ke pad pankaj preetee nahin,
avalamb bhavant katha jinh ke,
priy sant anant sada tinh ke,
raaja raam, raaja raam,
seeta raam,seeta raam,

nahin raag na lobh na maan mada,
tinh ke sam baibhav va bipada,
ehi te tav sevak hot muda,
muni tyaagat jog bharos sada,
raaja raam, raaja raam,
seeta raam,seeta raam,

kari prem nirantar nem lien,
pad pankaj sevat suddh hien,
sam maani niraadar aadarahee,
sab sant sukhee bicharanti mahee,
raaja raam, raaja raam,
seeta raam,seeta raam,

muni maanas pankaj bhrng bhaje,
raghubeer maha randheer aje,
tav naam japaami namaami haree,
bhav rog mahaagad maan aree,
raaja raam, raaja raam,
seeta raam,seeta raam,

gun seel krpa paramaayatanan,
pranamaami nirantar shreeramanan,
raghunand nikanday dvandvaghanan,
mahipaal bilokay deen janan,
raaja raam, raaja raam,
seeta raam,seeta raam,

baar baar bar maagoon harashee dehu shreerang,
pad saroj anapaayanee bhagati sada satasang,
barani umaapati raam gun harashi gae kailaas,
tab prabhu kapinh divae sab bidhi sukhaprad baas,
 
रामभद्राचार्य एक प्रसिद्ध हिंदू विद्वान, शिक्षाविद्, बहुभाषाविद्, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और धर्मगुरु हैं। वे रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं और इस पद पर १९८८ ई से प्रतिष्ठित हैं। वे चित्रकूट में स्थित तुलसी पीठ नामक धार्मिक और सामाजिक सेवा संस्थान के संस्थापक और अध्यक्ष हैं। वे चित्रकूट स्थित जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक और आजीवन कुलाधिपति हैं।

जन्म और प्रारंभिक जीवन

रामभद्राचार्य का जन्म 14 जनवरी 1950 को उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के शाण्डिखुर्द नामक स्थान पर हुआ था। उनका बचपन का नाम गिरिधर मिश्र था। उनके पिता का नाम पंडित राजदेव मिश्र और माता का नाम शची देवी था। गिरिधर मिश्र बचपन से ही अत्यंत बुद्धिमान और मेधावी थे। उन्होंने संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, और अन्य कई भाषाओं में महारत हासिल की।

शिक्षा और गुरु

गिरिधर मिश्र ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव के स्कूल से प्राप्त की। उसके बाद, उन्होंने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी से संस्कृत में एम.ए. की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने अपने गुरु पंडित ईश्वरदास महाराज से हिंदू धर्म और दर्शनशास्त्र का अध्ययन किया।

धर्मगुरु के रूप में दीक्षा

1988 में, गिरिधर मिश्र को रामानन्द सम्प्रदाय के चौथे जगद्गुरु के रूप में दीक्षा दी गई। उन्हें "रामभद्राचार्य" नाम दिया गया। रामभद्राचार्य ने अपने गुरु पंडित ईश्वरदास महाराज की शिक्षाओं का पालन करते हुए हिंदू धर्म और दर्शनशास्त्र के प्रचार और प्रसार में अपना जीवन समर्पित कर दिया।

रचनाएं

रामभद्राचार्य ने कई पुस्तकों और ग्रंथों की रचना की है। उनकी कुछ प्रमुख रचनाओं में शामिल हैं:
  • श्रीरामचरितमानस पर हिंदी भाष्य
  • श्रीभार्गवराघवीयम्
  • भृंगदूतम्
  • गीतरामायणम्
  • श्रीसीतारामसुप्रभातम्
  • श्रीसीतारामकेलिकौमुदी
  • अष्टावक्र
  • प्रस्थानत्रयी पर राघवकृपाभाष्य

सामाजिक कार्य

रामभद्राचार्य एक सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। उन्होंने कई सामाजिक सेवा संस्थानों की स्थापना की है, जिनमें शामिल हैं:
  • तुलसी पीठ
  • जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय
  • रामभद्राचार्य सेवा समिति
रामभद्राचार्य को उनके सामाजिक कार्यों के लिए कई पुरस्कार और सम्मान से सम्मानित किया गया है, जिनमें शामिल हैं:
  • पद्मश्री (2015)
  • महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार (2018)
  • उत्तर प्रदेश गौरव पुरस्कार (2020)

रामभद्राचार्य की शिक्षाएं

रामभद्राचार्य हिंदू धर्म के आदर्शों और मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए काम करते हैं। उनकी शिक्षाओं में शामिल हैं:
  • धर्म और कर्तव्य का पालन करना
  • दया और करुणा रखना
  • सत्य और न्याय का पालन करना
  • प्रतिकूल परिस्थितियों में भी साहस और दृढ़ता रखना
रामभद्राचार्य का मानना है कि हिंदू धर्म एक जीवन जीने का मार्ग है, न कि केवल एक धर्म। उनकी शिक्षाएं हमें एक बेहतर इंसान बनने और अपने जीवन में खुशी और समृद्धि प्राप्त करने में मदद कर सकती हैं। 

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1 Comments
  • Brijendra Sharma
    Brijendra Sharma 8/27/2022

    बहुत बढ़िया स्तुति।

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