धन्य तुम्हारा गुरु देव जी मुझ पर जो उपकार भजन
धन्य तुम्हारा गुरु देव जी, मुझ पर जो उपकार किया,
मेरी ऊँगली पकड़ के तुमने, मुझको भव से पार किया,
धन्य तुम्हारा गुरु देव जी, मुझ पर जो उपकार किया,
काम क्रोध मद लोभ में फँसकर, मैंने जीवन नरक किया,
अपनी शरण में लेकर तुमने, मेरा जीवन फरज किया,
पत्थर था पारस की तरह, तुमने मुझको संवार दिया,
धन्य तुम्हारा गुरु देव जी, मुझ पर जो उपकार किया,
मेरा हर दुःख सुख में बदला, केवल आप की रहमत है,
मेरे इस सारे जीवन में, केवल आप का ही हक़ है,
तुमने मेरे इस जीवन का, हर सपना साकार किया,
धन्य तुम्हारा गुरु देव जी, मुझ पर जो उपकार किया,
धर्म अधर्म के मंद को समझा, सत्य असत्य को जाना है,
आप की किरपा से इस जग के, सार को भी पहचाना है,
आप ने बच्चो के जीवन को, जीने का आधार दिया,
धन्य तुम्हारा गुरु देव जी, मुझ पर जो उपकार किया,
धन्य तुम्हारा गुरु देव जी, मुझ पर जो उपकार किया,
मेरी ऊँगली पकड़ के तुमने, मुझको भव से पार किया,
धन्य तुम्हारा गुरु देव जी, मुझ पर जो उपकार किया, आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं