दीनन दुख हरन देव संतन हितकारी लिरिक्स हिंदी Dinan Dukh Haran Dev Santan Hitkari Lyrics Jagjit Singh Bhajan Lyrics
दीनन दुःख हरण देव संतन हितकारी ॥टेक॥
दीनन दुःख हरण देव संतन हितकारी ॥टेक॥
अजामील गीध व्याध इनमें कहो कौन साध ।
पंछी को पद पढ़ात गणिका सी तारी ॥१॥
ध्रुव के सिर छत्र देत प्रह्लाद को उबार लेत ।
भगत हेतु बांध्यो सेतु लंकपुरी जारी ॥२॥
तंडुल देत रीझ जात सागपात सों अघात ।
गिनत नहीं जूठे फल खाटे मीठे खारी ॥३॥
गज को जब ग्राह ग्रस्यो दुस्सासन चीर खस्यो ।
सभाबीच कृष्ण कृष्ण द्रौपदी पुकारी ॥४॥
इतने में हरि आय गए बसनन आरुढ़ भये ।
सूरदास द्वारे ठाढ़ो आन्धरो भिखारी ॥५॥
दीनन दुःख हरण देव संतन हितकारी ॥टेक॥
अजामील गीध व्याध इनमें कहो कौन साध ।
पंछी को पद पढ़ात गणिका सी तारी ॥१॥
ध्रुव के सिर छत्र देत प्रह्लाद को उबार लेत ।
भगत हेतु बांध्यो सेतु लंकपुरी जारी ॥२॥
तंडुल देत रीझ जात सागपात सों अघात ।
गिनत नहीं जूठे फल खाटे मीठे खारी ॥३॥
गज को जब ग्राह ग्रस्यो दुस्सासन चीर खस्यो ।
सभाबीच कृष्ण कृष्ण द्रौपदी पुकारी ॥४॥
इतने में हरि आय गए बसनन आरुढ़ भये ।
सूरदास द्वारे ठाढ़ो आन्धरो भिखारी ॥५॥
दीनन दुख हरन देव संतन हितकारी
ध्रुव को हरि राज देत, प्रह्लाद को उबार लेत
भगत हेतु बाँध्यो सेतु, लंकपुरी जारी
तंदुल से रीझ जात, साग पात आप खात
शबरी के खाये फल, खाटे मीठे खारी
गज को जब ग्राह ग्रस्यो, दुःशासन चीर खस्यो
सभा बीच कृष्ण कृष्ण, द्रौपदी पुकारी
इतने हरि आय गये, वसनन आरूढ़ भये
‘सूरदास’ द्वारे ठाढ़ो, आँधरो भिखारी
DEENAN DUKH HARAN DEV
Dinan Dukh Haran Dev Santan Hitakaari
Dhruv Ko Hari Raaj Det, Prahlaad Ko Ubaar Let
Bhagat Hetu Baandhyo Setu, Lankapuri Jaari
Tandul Se Rijh Jaat, Saag Paat Aap Khaat
Shabari Ke Khaaye Phal, Khaate Mithe Khaari
Gaj Ko Jab Graah Grasyo, Duhshaasan Chir Khasyo
Sabha Bich Krshn Krshn, Draupadi Pukaari
Itane Hari Aay Gaye, Vasanan Aarudh Bhaye
‘suradaas’ Dvaare Thaadho, Aandharo Bhikhaari
Dhruv Ko Hari Raaj Det, Prahlaad Ko Ubaar Let
Bhagat Hetu Baandhyo Setu, Lankapuri Jaari
Tandul Se Rijh Jaat, Saag Paat Aap Khaat
Shabari Ke Khaaye Phal, Khaate Mithe Khaari
Gaj Ko Jab Graah Grasyo, Duhshaasan Chir Khasyo
Sabha Bich Krshn Krshn, Draupadi Pukaari
Itane Hari Aay Gaye, Vasanan Aarudh Bhaye
‘suradaas’ Dvaare Thaadho, Aandharo Bhikhaari
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Author - Saroj Jangir
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