गिरधर मेरे मौसम आया धरती के श्रृंगार का भजन
अरे छाई सावन की है बदरिया
और ठंडी पड़े फुहार
जब श्याम बजाए बांसुरी
झूलन चली ब्रज नार
जय हो.....
गिरधर मेरे मौसम आया धरती के श्रृंगार का
आया सावन पड़ गए झूले बरसे रंग बहार का....2
गिरधर मेरे ........
ग्वाल बाल संग गोपियां राधा जी आई
आज तुम्हें कहो कौन सी कुब्जा भरमाई....2
मिलन की चाह में तुम्हारी राह में
बिछाए पलकें बैठिए तुम्हारी याद सताती है
जय हो.....
गिरधर मेरे ........
घुमड़ घुमड़ काली घटा शोर मचाती है
स्वागत में तेरे सांवरा जल बरसाती है....2
पायलिया टूटती मयूरी झूमती
तुम्हारे बिन मुझको मोहन बहारें फीकी लगती है
जय हो.....
गिरधर मेरे ........
ग्वाल बाल संग गोपियां राधा जी आई
आज तुम्हें कहो कौन सी कुब्जा भरमाई....2
मिलन की चाह में तुम्हारी राह में
बिछाए पलकें बैठिए तुम्हारी याद सताती है
जय हो.....
गिरधर मेरे ........
ग्वाल बाल संग गोपियां राधा जी आई
आज तुम्हें कहो कौन सी कुब्जा भरमाई....2
मिलन की चाह में तुम्हारी राह में
बिछाए पलकें बैठिए तुम्हारी याद सताती है
जय हो.....
गिरधर मेरे ........
राधा जी के संग में झूले मनमोहन
छेड़ रसीली बांसुरी शीतल हो तन-मन....2
बजाओ बांसुरी खिले मन की कली
मगन नंदू ब्रिज की बाला तुम्हें झूला झूल आती हैं
जय हो.....
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