कदम मिलाकर चलना होगा अटल बिहारी

कदम मिलाकर चलना होगा अटल बिहारी बाजपेयी

 
कदम मिलाकर चलना होगा अटल बिहारी बाजपेयी Kadam Milakar Chalana Hoga Lyrics

बाधायें आती हैं आयें
घिरें प्रलय की घोर घटायें,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालायें,
निज हाथों में हंसते-हंसते,
आग लगाकर जलना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा।
हास्य-रूदन में, तूफानों में,
अगर असंख्यक बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानों में,
अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना,
पीड़ाओं में पलना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा।
उजियारे में, अंधकार में,
कल कहार में, बीच धार में,
घोर घृणा में, पूत प्यार में,
क्षणिक जीत में, दीघर हार में,
जीवन के शत-शत आकर्षक,
अरमानों को ढ़लना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा।
 
सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ,
प्रगति चिरंतन कैसा इति अब,
सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,
असफल, सफल समान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न मांगते,
पावस बनकर ढ़लना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा।
कुछ कांटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वंचित यौवन,
नीरवता से मुखरित मधुबन,
परहित अर्पित अपना तन-मन,
जीवन को शत-शत आहुति में,
जलना होगा, गलना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा।
-अटल बिहारी वाजपेयी


Kadam Milakar Chalna Hoga Kadam Mila Kar Chalna Hoga : Sh. Atal Bihari Vajpayee Ji

Kadam Milakar Chalna Hoga · Jagjit Singh
Samvedna
Saregama India Ltd
Released on: 2002-01-12

अटल जी की यह कविता “कदम मिलाकर चलना होगा” राष्ट्र और मानवता दोनों के लिए प्रेरणा का सूत्र है। इसमें केवल संघर्ष का आह्वान नहीं, बल्कि जीवन-दर्शन का सार निहित है। यह पंक्तियाँ बताती हैं कि कठिनाई, बाधा या पीड़ा कोई रुकावट नहीं—बल्कि आत्मबल का परीक्षण हैं। जब “पांवों के नीचे अंगारे” और “सिर पर ज्वालायें” हों, तब भी मुस्कुराकर आगे बढ़ना ही सच्चा जीवन है। यहाँ त्याग, सहनशीलता और कर्म की वह भावना प्रकट होती है जो व्यक्ति को साधारण से महान बनाती है।

अटल जी का दृष्टिकोण स्पष्ट है—जीवन का अर्थ संघर्ष से बचना नहीं, बल्कि उसमें से प्रकाश खोजना है। “हास्य-रूदन में, तूफानों में” व्यक्ति का चरित्र गढ़ा जाता है; वहीं से उसका आत्मविश्वास जन्म लेता है। यह कविता बताती है कि विजय और पराजय दोनों क्षणिक हैं, स्थायी है केवल “चालित रहना”—कदम मिलाकर, उद्देश्य के साथ बढ़ते रहना। 

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