कैसे मैं भूलूँ एहसान तेरा भजन
मैं हारा हुआ था, तूने जीताया
दे के सहारा मुझे ,अपना बनाया।।
खुशियो से दामन ,भर दिया मेरा।
कैसे मैं भूलूँ एहसान तेरा।।
हर पल तू रहता है ,पकड़े हाथ मेरा,
कैसे मैं भूलूँ ,एहसान तेरा ।।
फ़र्श से उठाकर, अर्श पर बिठाया।
हारे का साथी है तू , ये सच कर दिखाया।
दिल से कहूँ मैं ,तू साथी है मेरा।
कैसे मैं भूलूँ , एहसान तेरा ।
हर पल तू रहता है ,पकड़े हाथ मेरा ,
कैसे मैं भूलूँ , एहसान तेरा।।
अर्जी को मेरी, स्वीकार करना ।
मुझे अपने चरणों से ,दूर नहीं करना।
हर ग्यारस पे खाटू"
अब आना है मेरा
कैसे मैं भूलूँ ,एहसान तेरा ।।
हर पल तू रहता है ,
पकड़े हाथ मेरा।
कैसे मैं भूलूँ , एहसान तेरा ।।
दे के सहारा मुझे ,अपना बनाया।।
खुशियो से दामन ,भर दिया मेरा।
कैसे मैं भूलूँ एहसान तेरा।।
हर पल तू रहता है ,पकड़े हाथ मेरा,
कैसे मैं भूलूँ ,एहसान तेरा ।।
फ़र्श से उठाकर, अर्श पर बिठाया।
हारे का साथी है तू , ये सच कर दिखाया।
दिल से कहूँ मैं ,तू साथी है मेरा।
कैसे मैं भूलूँ , एहसान तेरा ।
हर पल तू रहता है ,पकड़े हाथ मेरा ,
कैसे मैं भूलूँ , एहसान तेरा।।
अर्जी को मेरी, स्वीकार करना ।
मुझे अपने चरणों से ,दूर नहीं करना।
हर ग्यारस पे खाटू"
अब आना है मेरा
कैसे मैं भूलूँ ,एहसान तेरा ।।
हर पल तू रहता है ,
पकड़े हाथ मेरा।
कैसे मैं भूलूँ , एहसान तेरा ।।
