नवल वसंत नवल वृंदावन नवल ही फूले फूल भजन लिरिक्स Naval Vasant Naval Vrindavan Lyrics

नवल वसंत नवल वृंदावन नवल ही फूले फूल भजन लिरिक्स Naval Vasant Naval Vrindavan Lyrics

 
नवल वसंत नवल वृंदावन नवल ही फूले फूल भजन लिरिक्स Naval Vasant Naval Vrindavan Lyrics

नवल वसंत, नवल वृंदावन, नवल ही फूले फूल
नवल ही कान्हा, नवल सब गोपी, नृत्यत एक ही तूल
नवल ही साख, जवाह, कुमकुमा, नवल ही वसन अमूल
नवल ही छींट बनी केसर की, भेंटत मनमथ शूल
नवल गुलाल उड़े रंग बांका, नवल पवन के झूल
नवल ही बाजे बाजैं, "श्री भट" कालिंदी के कूल
नव किशोर, नव नगरी, नव सब सोंज अरू साज
नव वृंदावन, नव कुसुम, नव वसंत ऋतु-राज
नवल वसंत नवल वृंदावन खिले फूल,

नवल वसंत नवल वृंदावन नवल ही फूले फूल भजन लिरिक्स Naval Vasant Naval Vrindavan Lyrics

नवल वसंत नवल वृंदावन खेलत नवल गोवर्धनधारी ।
हलधर नवल नवल ब्रजबालक नवल नवल बनी गोकुल नारी ॥1॥
नवल यमुना तटा नवल विमलजल नूतन मंद सुगंध समीर ।
नवल कुसुम नव पल्लव साखा कूजत नवल मधुपपिककीर ॥2॥
नव मृगमद नव अरगजा चंदन नूतन अगर सु नवल अबीर ।
नव वंदन नव हरद कुंकुमा छिरकत नवल परस्पर नीर ॥3॥
नवल बेनु महुवरी बाजे अनुपम नौतन भूषण नौतन चीर ।
नवल रूप नव कृष्णदास प्रभु को नौतन जस गावति मुनि धीर ॥4॥
नवल वसंत नवल वृंदावन खेलत नवल गोवर्धनधारी ।
हलधर नवल नवल ब्रजबालक नवल नवल बनी गोकुल नारी ॥1॥
नवल यमुना तटा नवल विमलजल नूतन मंद सुगंध समीर ।
नवल कुसुम नव पल्लव साखा कूजत नवल मधुपपिककीर ॥2॥
नव मृगमद नव अरगजा चंदन नूतन अगर सु नवल अबीर ।
नव वंदन नव हरद कुंकुमा छिरकत नवल परस्पर नीर ॥3॥
नवल बेनु महुवरी बाजे अनुपम नौतन भूषण नौतन चीर ।
नवल रूप नव कृष्णदास प्रभु को नौतन जस गावति मुनि धीर ॥4॥
 

Vasant Panchami | नवल बसंत नवल वृंदावन | Baldev Krishna Sehgal Ji | बसंत पंचमी

 Naval Vasant Naval Vrndaavan Khelat Naval Govardhanadhaari .
Haladhar Naval Naval Brajabaalak Naval Naval Bani Gokul Naari .1.
Naval Yamuna Tata Naval Vimalajal Nutan Mand Sugandh Samir .
Naval Kusum Nav Pallav Saakha Kujat Naval Madhupapikakir .2.
Nav Mrgamad Nav Aragaja Chandan Nutan Agar Su Naval Abir .
Nav Vandan Nav Harad Kunkuma Chhirakat Naval Paraspar Nir .3.
Naval Benu Mahuvari Baaje Anupam Nautan Bhushan Nautan Chir .
Naval Rup Nav Krshnadaas Prabhu Ko Nautan Jas Gaavati Muni Dhir .4.
Naval Vasant Naval Vrndaavan Khelat Naval Govardhanadhaari .
Haladhar Naval Naval Brajabaalak Naval Naval Bani Gokul Naari .1.
Naval Yamuna Tata Naval Vimalajal Nutan Mand Sugandh Samir .
Naval Kusum Nav Pallav Saakha Kujat Naval Madhupapikakir .2.
Nav Mrgamad Nav Aragaja Chandan Nutan Agar Su Naval Abir .
Nav Vandan Nav Harad Kunkuma Chhirakat Naval Paraspar Nir .3.
Naval Benu Mahuvari Baaje Anupam Nautan Bhushan Nautan Chir .
Naval Rup Nav Krshnadaas Prabhu Ko Nautan Jas Gaavati Muni Dhir .4.

नवल वसंत नवल वृंदावन नवल ही फूले फूल भजन लिरिक्स Naval Vasant Naval Vrindavan Lyrics

नवल वसंत नवल वृंदावन रचना कवि कृष्णदास (Krishna Dasa)
नवल वसंत नवल वृंदावन खेलत नवल गोवर्धनधारी ।
हलधर नवल नवल ब्रजबालक नवल नवल बनी गोकुल नारी ॥१।
नवल यमुना तटा नवल विमलजल नूतन मंद सुगंध समीर ।
नवल कुसुम नव पल्लव साखा कूजत नवल मधुपपिककीर ॥२॥
नव मृगमद नव अरगजा चंदन नूतन अगर सु नवल अबीर ।
नव वंदन नव हरद कुंकुमा छिरकत नवल परस्पर नीर ॥३॥
नवल बेनु महुवरी बाजे अनुपम नौतन भूषण नौतन चीर ।
नवल रूप नव कृष्णदास प्रभु को नौतन जस गावति मुनि धीर ॥४॥ 

नवल वसंत नवल वृंदावन नवल ही फूले फूल भजन लिरिक्स Naval Vasant Naval Vrindavan Lyrics

कृष्णदास जी, बसंत के पद, राग बसंत   
नवल वसंत नवल वृंदावन खेलत नवल गोवर्धनधारी ।
हलधर नवल नवल ब्रजबालक नवल नवल बनी गोकुल नारी ॥२।
नवल यमुना तटा नवल विमलजल नूतन मंद सुगंध समीर ।
नवल कुसुम नव पल्लव साखा कूजत नवल मधुपपिककीर ॥३॥
नव मृगमद नव अरगजा चंदन नूतन अगर सु नवल अबीर ।
नव वंदन नव हरद कुंकुमा छिरकत नवल परस्पर नीर ॥४॥
नवल बेनु महुवरी बाजे अनुपम नौतन भूषण नौतन चीर ।
नवल रूप नव कृष्णदास प्रभु को नौतन जस गावति मुनि धीर ॥५॥
 
नवल बसंत नवल वृन्दावन
ध्रुपद
नवल बसंत नवल वृन्दावन नवल ही फूले फूल।।
नवल ही कान्ह नवल बनी गोपी निर्त्तत एकही तूल।।1।।
 नवल गुलाल उड़े रंग बूका नवल बसंत अमूल।।
नवल ही छींट बनी केसर की मेटत मन्मथ सूल।।2।।
 नवल ही ताल पखावज बाजत नवल पवन के झूल।।
नवल ही बाजे बाजत श्रीभट कालिंदी के कूल।।3।।
रचना : स्वामी श्री श्रीभट्ट देवाचार्य जी महाराज (निम्बार्क सम्प्रदाय) चौदहवीं शताब्दी
राग : वसंत 

बसंत को पद राग - बसंत ताल - धमार स्वर - नवल वसंत नवल वृंदावन नवल ही फूले फूल रचना - श्रीभट्ट जी की कीर्तन संग्रह पुस्तक (खण्ड ३) [इंदौर वाली] :- बसंत के पद । पृष्ठ क्रमांक ५८ । पद ५७ । 
 
राग वसंत : नवल वसंत, नवल वृंदावननवल वसंत, नवल वृंदावन,
नवल ही फूले फूल
नवल ही कान्हा,
नवल सब गोपी,
नृत्यत एक ही तूल
नवल ही साख, जवाह, कुमकुमा,
नवल ही वसन अमूल
नवल ही छींट बनी केसर की, भेंटत मनमथ शूल
नवल गुलाल उड़े रंग बांका,
नवल पवन के झूल
नवल ही बाजे बाजैं, कालिंदी के कूल

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