ॐ भूर् भुवः स्वः। तत् सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि।धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
Om Bhur Bhuvah Swaha
ॐ भूर्भुवः स्वः
Tat Savitur Varenyam
तत्सवितुर्वरेण्यं
Bhargo Devasya Dhimahi
भर्गो देवस्य धीमहि
Dhiyo Yo Nah Prachodayat
धियो यो नः प्रचोदयात्
भर्गो देवस्य धीमहि।धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
Om Bhur Bhuvah Swaha
ॐ भूर्भुवः स्वः
Tat Savitur Varenyam
तत्सवितुर्वरेण्यं
Bhargo Devasya Dhimahi
भर्गो देवस्य धीमहि
Dhiyo Yo Nah Prachodayat
धियो यो नः प्रचोदयात्
गायत्री मंत्र स्वंय में एक सम्पूर्ण कल्याणकारी मन्त्र है, जिसका अर्थ बहुत ही विस्तृत है और और इसका महत्त्व बुद्धि के विस्तार और विश्व के कल्याण से जुड़ा हुआ है। विशेष है की गायत्री मंत्र का जाप हमेशा रुद्राक्ष की माला से ही करना चाहिए। गायत्री मंत्र के प्रत्येक शब्द की व्याख्या (Gayatri Mantra Meaning by words in Hindi)
ॐ = प्रणव
भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला
भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला
स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला
तत = वह
सवितुर = सूर्य की भाँति उज्जवल और प्रकाश मान।
वरेणयं = सबसे श्रेष्ठ।
भर्गो- = कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य- = प्रभु
धीमहि- = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान)
धियो = बुद्धि
यो = जो
नः = हमारी
प्रचो- दयात् = हमें शक्ति दें (प्रार्थना)
ॐ = प्रणव
भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला
भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला
स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला
तत = वह
सवितुर = सूर्य की भाँति उज्जवल और प्रकाश मान।
वरेणयं = सबसे श्रेष्ठ।
भर्गो- = कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य- = प्रभु
धीमहि- = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान)
धियो = बुद्धि
यो = जो
नः = हमारी
प्रचो- दयात् = हमें शक्ति दें (प्रार्थना)
ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
अर्थ: ॐ, हम उस सर्वोच्च प्रकाशमान, सर्वोच्च ज्ञान, सर्वोच्च सुख के देवता, सवितृ को नमस्कार करते हैं। वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करें।
गायत्री मंत्र हिंदू धर्म का सबसे पवित्र मंत्र है। यह एक ऋग्वेदीय मंत्र है, जो लगभग 3500 साल पुराना है। यह मंत्र तीन शब्दों से बना है:
ॐ: ब्रह्मांड का प्रतीक
भूर्भुवः स्वः: तीन लोकों का प्रतीक
तत् सवितुर्वरेण्यं: सवितृ देवता का प्रतीक
गायत्री मंत्र को ज्ञान, प्रकाश और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है। यह मंत्र मनुष्य को सही दिशा दिखाने और उसे जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।
गायत्री मंत्र का जाप करने के कई लाभ हैं। यह मंत्र मन को शांत करता है, बुद्धि को बढ़ाता है, और आत्मा को शुद्ध करता है। यह मंत्र शांति, समृद्धि और कल्याण प्रदान करता है।
एक शांत और आरामदायक स्थान पर बैठें।
अपनी आँखें बंद करें और अपने मन को शांत करें।
गायत्री मंत्र को धीरे-धीरे और स्पष्ट रूप से दोहराएं।
मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।
गायत्री मंत्र का जाप किसी भी समय और किसी भी स्थान पर किया जा सकता है। हालांकि, सुबह जल्दी उठकर मंत्र का जाप करना सबसे अच्छा माना जाता है।
गायत्री मंत्र का जाप करने से पहले, निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:
मंत्र का उच्चारण सही होना चाहिए।
मंत्र का जाप ध्यानपूर्वक करना चाहिए।
मंत्र का जाप करते समय मन को शांत रखना चाहिए।
गायत्री मंत्र का जाप करने से आपको शांति, ज्ञान और बुद्धि का लाभ मिलेगा। यह मंत्र आपको जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद करेगा।
गायत्री मन्त्र, इस समस्त ब्रह्माण्ड और समस्त व्याप्त जीवित जगत के कल्याण का सबसे बड़ा स्रोत है ये “मन्त्र”, ये एक ऐसा मन्त्र है जिसकी उपासना स्वयं देवता भी करते हैं जिसके गुणों का वर्णन करना वेदों और शास्त्रों में भी संभव नहीं है। समस्त मानसिक और शारीरिक बढ़ाएं इस मन्त्र के जाप से दूर होती हैं। गायत्री मन्त्र के जाप से ह्रदय में शुद्धता आती है और विचार सकारत्मक बनते हैं। इस मन्त्र के नियमित जाप से तन मन में दिव्य शक्ति का संचार होता है।
Let us adore the supremacy of that divine sun, the god-head who illuminates all, who recreates all, from whom all proceed, to whom all must return, whom we invoke to direct our understandings aright in our progress toward his holy seat.
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