प्रथमहिं धारो गुरु को ध्यान Prathamahi Dharo Guru Dhyam bhajan
प्रथमहिं धारो गुरु को ध्यान |
हो स्तुति निर्मल हो बिंदु ज्ञान || १ ||
दैउ नैन बिच सन्मुख देख |
इक बिन्दु मिलै दृष्टि दैउ रेख ||२||
सुखमन झलकै तिल तारा |
निरख सुरत दशमी द्वारा || ३||
जोति मण्डल में अचरज जोत |
शब्द मण्डल अनहद शब्द होत || ४||
अनहद में धुन सत लौ लाय |
भव जल तरिबो यही उपाय || ५||
मेँहीँ युक्ति सरल साँची |
हलै जो गुरु सेवा राँची || ६||
प्रथमहिं धारो गुरु को ध्यान |
हो स्तुति निर्मल हो बिंदु ज्ञान || १ ||
दैउ नैन बिच सन्मुख देख |
इक बिन्दु मिलै दृष्टि दैउ रेख ||२||
सुखमन झलकै तिल तारा |
निरख सुरत दशमी द्वारा || ३||
जोति मण्डल में अचरज जोत |
शब्द मण्डल अनहद शब्द होत || ४||
अनहद में धुन सत लौ लाय |
भव जल तरिबो यही उपाय || ५||
मेँहीँ युक्ति सरल साँची |
हलै जो गुरु सेवा राँची || ६||
हो स्तुति निर्मल हो बिंदु ज्ञान || १ ||
दैउ नैन बिच सन्मुख देख |
इक बिन्दु मिलै दृष्टि दैउ रेख ||२||
सुखमन झलकै तिल तारा |
निरख सुरत दशमी द्वारा || ३||
जोति मण्डल में अचरज जोत |
शब्द मण्डल अनहद शब्द होत || ४||
अनहद में धुन सत लौ लाय |
भव जल तरिबो यही उपाय || ५||
मेँहीँ युक्ति सरल साँची |
हलै जो गुरु सेवा राँची || ६||
प्रथमहिं धारो गुरु को ध्यान |
हो स्तुति निर्मल हो बिंदु ज्ञान || १ ||
दैउ नैन बिच सन्मुख देख |
इक बिन्दु मिलै दृष्टि दैउ रेख ||२||
सुखमन झलकै तिल तारा |
निरख सुरत दशमी द्वारा || ३||
जोति मण्डल में अचरज जोत |
शब्द मण्डल अनहद शब्द होत || ४||
अनहद में धुन सत लौ लाय |
भव जल तरिबो यही उपाय || ५||
मेँहीँ युक्ति सरल साँची |
हलै जो गुरु सेवा राँची || ६||
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