गुरू मम सूरत को गगन पर चढ़ाना भजन

गुरू मम सूरत को गगन पर चढ़ाना भजन

 
गुरू मम सूरत को गगन पर चढ़ाना भजन लिरिक्स Guru Mam Surat Ko Gagan Par Chadhana Bhajan Lyrics

गुरू मम सूरत को गगन पर चढ़ाना।
दया करके सतधुन की धारा गाना ॥
अपनी किरण का सहारा गहाकर।
परम तेजोमय रूप अपना दिखाना ॥
साधना-भजन-हीन सम न कोऊ।
मेरी इस दुर्बलता को प्रभुजी हटाना ॥
पापों के संस्कार जन्मों के मेरे।।
हैं जो दया कर क्षमा कर मिटाना ॥
तुम्हरो विरद गुरु है पतितन को तारन।।
अपनो बिरद राखी ‘में ही निभाना ॥
गुरू मम सूरत को गगन पर चढ़ाना।
दया करके सतधुन की धारा गाना ॥
अपनी किरण का सहारा गहाकर।
परम तेजोमय रूप अपना दिखाना ॥
साधना-भजन-हीन सम न कोऊ।
मेरी इस दुर्बलता को प्रभुजी हटाना ॥
पापों के संस्कार जन्मों के मेरे।।
हैं जो दया कर क्षमा कर मिटाना ॥
तुम्हरो विरद गुरु है पतितन को तारन।।
अपनो बिरद राखी ‘में ही निभाना ॥



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