वर दे वीणावादिनि वर दे भजन
वर दे, वीणावादिनि वर दे,
प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव
भारत में भर दे,
काट अंध-उर के बंधन-स्तर,
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर,
कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर,
जगमग जग कर दे,
वर दे, वीणावादिनि वर दे,
प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव
भारत में भर दे
नव गति, नव लय, ताल-छंद नव
नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव,
नव नभ के नव विहग-वृंद को,
नव पर, नव स्वर दे,
वर दे, वीणावादिनि वर दे,
वर दे, वीणावादिनि वर दे,
प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव
भारत में भर दे
SARASWATI VANDANA var de, veenaavaadini var de,
priy svatantr-rav amrt-mantr nav
bhaarat mein bhar de,
kaat andh-ur ke bandhan-star,
baha janani, jyotirmay nirjhar,
kalush-bhed-tam har prakaash bhar,
jagamag jag kar de,
var de, veenaavaadini var de,
priy svatantr-rav amrt-mantr nav
bhaarat mein bhar de
nav gati, nav lay, taal-chhand nav
naval kanth, nav jalad-mandrarav,
nav nabh ke nav vihag-vrnd ko,
nav par, nav svar de,
var de, veenaavaadini var de,
var de, veenaavaadini var de,
priy svatantr-rav amrt-mantr nav
bhaarat mein bhar de
वर दे, वीणावादिनी वर दे!
प्रिय स्वतंत्र- रव अमृत-मंत्र नव
भारत में भर दे!
Meaning: हे माँ सरस्वती! हमें वरदान दीजिये। हे माँ! हम सबमें नव ज्ञान रूपी अमृत-मंत्र भर दीजिये। काट अंध्-उर के बंधन-स्तर
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर
कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर
जगमग जग कर दे!
Meaning: हे माँ सरस्वती! हमारे हृदय में स्थित अंधकार की जगह प्रकाश भरकर इसे जगमग कर दीजिये।
हे माँ सरस्वती! देश में प्रकाश की ऐसी धारा बहा दीजिये,
जो सारी बुराइयों, पापों का नाश करने वाली हो।
नव गति, नव लय, ताल-छंद नव नवल कंठ, नव जलद-मन्द्र रव
नव नभ के नव विहग-वृंद को
नव पर, नव स्वर दे!
Meaning: हे माँ सरस्वती! देश की जड़ता भंग कर और देश में नयी गति, नया लय, नया ताल, नया स्वर दीजिये।
पृथ्वी को नयी गति दीजिये,
आकाश में विचरण करने वाले पक्षियों को नया स्वर दीजिये।
वर दे, वीणावादिनी वर दे।
Meaning: हे माँ सरस्वती! हमें वरदान दीजिये। यह सरस्वती वंदना महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला द्वारा रचित है.
सरस्वती वंदना -वीणा वादनी वर दे |
वर दे, वीणावादिनि वर दे।
प्रिय स्वतंत्र रव,
अमृत मंत्र नव भारत में भर दे।
काट अंध उर के बंधन
स्तर बहा जननि ज्योतिर्मय
निर्झर कलुष भेद तम
हर प्रकाश भर जगमग जग कर दे।
नव गति नव लय ताल छंद नव नवल
कंठ नव जलद मन्द्र रव नव नभ के
नव विहग वृंद को, नव पर नव स्वर दे।
वर दे वीणा वादिनी वर दे :माँ सरस्वती वंदना : बसंत पंचमी विशेष : Var De Veena Vadini Var De
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