अंजन की सीटी में म्हारो मन डोले

अंजन की सीटी में म्हारो मन डोले Anjan Ki Seeti Me Mharo Man Dole

अंजन की सीटी में म्हारो मन डोले हिंदी लिरिक्स Anjan Ki Seeti Me Mharo Man Dole Lyrics
यह एक राजस्थानी लोक गीत है जिसे मस्ती और चुहलबाजी के लिए अक्सर गाया जाता है। इस गीत में माध्यम से नायिका अपनी रेल यात्रा के बारे में उत्सुक होकर बता रही है। यह ग्रामीण महिला के पहली बार रेल में बैठने और उससे सबंधित उत्सुकता को दर्शाता है। 

अंजन की सीटी में म्हारो मन डोले,
चला चला रे डिलैवर गाड़ी हौले हौले,

बीजळी को पंखो चाले, गूंज रयो जण भोरो,
बैठी रेल में गाबा लाग्यो वो जाटां को छोरो,
चला चला रे,

डूंगर भागे, नंदी भागे और भागे खेत,
ढांडा की तो टोली भागे, उड़े रेत ही रेत,
चला चला रे,

बड़ी जोर को चाले अंजन, देवे ज़ोर की सीटी
डब्बा डब्बा घूम रयो टोप वारो टी टी,
चला चला रे,

जयपुर से जद गाड़ी चाली गाड़ी चाली मैं बैठी थी सूधी
असी जोर को धक्का लाग्यो जद मैं पड़ गयी उँधी,
चला चला रे,

शब्दार्थ: डलेवर= ड्राईवर-चालक, गाबा= गाने लगना, डूंगर= पहाड़, नंदी= नदी , ढांडा= जानवर , जद= जब, असी= ऐसा,
 


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