चढ़ लाडा चढ़ रे ऊँचे रो क्स Chadh Lada Chadh Re Uncho Dekhadyu Tharo Sasro Lyrics

चढ़ लाडा चढ़ रे ऊँचे रो क्स Chadh Lada Chadh Re Uncho Dekhadyu Tharo Sasro Lyrics

 
चढ़ लाडा चढ़ रे ऊँचे रो क्स Chadh Lada Chadh Re Uncho Dekhadyu Tharo Sasro Lyrics

यह लोक गीत विवाह के अवसर पर गाया जाता है जिसमें दुल्हे को ताना देकर उसकी भोजाइयां और अन्य स्त्रियाँ ठिठोली लेकर दुल्हे को कहती है की जिस ससुराल की तू प्रशंसा करते नहीं थकता है वह देखो कैसा नजर आ रहा है जैसे कोई जोगियों का डेरा हो। तुम्हारे ससुर को देखो वह कितना मोटा और भद्दा सा नजर आ रहा है मानो कोई पडगो का बोरा हो जो थुलथुल जैसा है, मोटा है। तुम्हारी सासू भैंस के समान मोटी और भद्दी नजर आ रही है। तुम्हारी साली तो मानो कोई जोगियों की लड़की जैसी है (जोगी से तात्पर्य मांग कर खाने वालों से है )

चढ़ लाडा, चढ़ रे ऊँचे रो, देखाधूं थारो सासरो रे,
जांणे जाणें जोगीड़ो रा डेरा, ऐंडू के शार्रूं सासरो रे।
चढ़ लाड़ा चढ़ रे ऊँचो रो, देखांधू थारा सुसरा रे,
जाणें जाणें पड़गो रा वौरा, ऐड़ा रे थारा सुसरा रे।

चढ़ लाड़ा चढ़ रे ऊँचे रे देखांधू थारो सासरो रे,
जाणें जाणें पड़गा री "बोंरी' ऐड़ी तो थारी सासूजी रे।
चढ़ लाड़ा चढ़ रे ऊँचे रो, देखांधू थारो सासरो रे,
जाणें जाणें जोगीड़ा री छोरी, ऐड़ी तो थारी साली रे।
 


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