गुरुमुख एक बूटा है सत्संग तो पानी है भजन
गुरुमुख एक बूटा है सत्संग तो पानी है
गुरुवर है इसके माली इतनी सी कहानी है
ये खाद भी डालेंगे पानी भी मिला देंगे
आंधी तूफानों से प्रभु आप बचाएंगे
पतझड़ से ना घबराना ऋतू आनी जानी है
जैसे माली को अपना हर बूटा प्यारा है
हर गुरुमुख भी गुरु की आखों का तारा है
ये रीत सतगुरु की मुद्दत से पुरानी है
ये जो कुछ करते है सब ठीक ही होता है
काटों के संग अक्सर एक फूल भी होता है
जो बात न ये समझे वो उसकी नादानी है
ये माली है सबका विशवास हमें आया
तेरे इस उपवन मे कोई फूल ना मुरझाया,
बख्शो मेरे दाता जी जो भूल पुरानी है,
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