किसी से उनकी मंज़िल का पता पाया

किसी से उनकी मंज़िल का पता पाया नहीं जाता भजन

 
किसी से उनकी मंज़िल का पता पाया नहीं जाता Kisi Se Unki Manjil Ka pata Paaya Lyrics

किसी से उनकी मंज़िल का पता पाया नहीं जाता
जहाँ है वो वहाँ गम का साया नहीं जाता
किसी से उनकी मंज़िल का पता पाया नहीं जाता
फकीरी में भी मुझको मांगने में शर्म आती है
तेरे बनके अब मुझसे हाथ फैलाया नहीं जाता
किसी से उनकी मंज़िल का पता पाया नहीं जाता

मेरे टूटे हुए पेरो तलब का मुझ पे एहसान है
तेरे दर से अब उठके और जाया नहीं जाता
किसी से उनकी मंज़िल का पता पाया नहीं जाता
इबादत के लिए कुछ ख़ास दिल मख्सूस होते है
ये वो नगमा है जो हर साज पे गया नहीं जाता
किसी से उनकी मंज़िल का पता पाया नहीं जाता
जहाँ है वो वहाँ गम का साया नहीं जाता
किसी से उनकी मंज़िल का पता पाया नहीं जाता
 


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