माता अंजनी का लाला है बड़े दिलवाला भजन
लाल लँघोटा हाथ मैं सोटा राम राम नित रटता,
जिस रस्ते पे कदम बढ़ाये वापिस फिर ना हटता,
माता अंजनी का लाला है बड़े दिलवाला
बचपन में बल दिखलाया सूरज को खाना चाहा,
सूर्य बिना तो जग में होगा अँधेरा रे,
भगवान को भी फिकर हुआ बल बुद्धि का जिक्र हुआ,
सूत है पवन का दर तेरा ना मेरा रे,
हो राम जी का चेला अलबेला था अकेला ऐसा खेल गया खेला,
बोल दिया सो बोल दिया ये कहकर नहीं पलटता,
सुध सीता की लेने गए मन ही मन सियाराम कहे
पहुंचे अशोक वन में बाग उजाड़ा रे
इसको सबक सिखादो रे पूँछ में आग लगा दो रे
आग लगी तो खेल रावण का बिगाड़ा रे
शान से आया मुस्काया ना घबराया सारी राम जी की माया
उड़ के हवा में आये हनुमत सफर घडी में काटता
लखन लाल को तीर लगा हनुमान गया भगा भगा
लाए के संजीवन बूटी प्राण बचाए रे
द्रोण गिरी पे जाना था जाकर वापिस आना था
काम कमल सिंह दूजा कर नहीं पाए रे
बड़ा बलकारी देहदारी ब्रह्मचारी उडारी भगन मैं मारी
कभी तो रूप विशाल बनाये कभी तो जाए भटका
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