नहीं धन दौलत की चाहत तू भी फ़कीर मैं भी फ़कीर है भजन
नहीं धन दौलत की चाहत है,
है कर्म तेरा यह राहत है,
तूनें जितना दिया है खुश हैं हम,
चाहिए ना खजाना और ज़गीर,
तू भी फ़कीर मैं भी फ़कीर,
तू भी फ़कीर मैं भी फ़कीर,
साईं इतना दीजिये जा मैं कुटुंब समाए,
मैं भी भूखा ना रहूँ, साधु ना भूखा जाए,
दो रोटी की हो इनायत बस,
इतनी सी है साईं चाहत बस,
कुछ हो न हो इस जीवन में,
तेरी बँदगी हो पीरो की पीर,
तू भी फ़कीर मैं भी फ़कीर,
तू भी फ़कीर मैं भी फ़कीर,
साईं के दरबार से खाली फ़िरा ना कोय,
जो चौखट तक आ गए, भला सभी का होय,
हम से शराफत होती रहे,
बस तेरी इबादत होती रहे,
नहीं हमसे हो कोई गुस्ताखी,
रहे पाक सदा अपना ज़मीर,
तू भी फ़कीर मैं भी फ़कीर,
तू भी फ़कीर मैं भी फ़कीर,
नहीं धन दौलत की चाहत है,
है कर्म तेरा यह राहत है,
तूनें जितना दिया है खुश हैं हम,
चाहिए ना खजाना और ज़गीर,
तू भी फ़कीर मैं भी फ़कीर,
तू भी फ़कीर मैं भी फ़कीर,
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