ॐ जय शिव ओंकारा आरती लिरिक्स Om Jay Shiv Omkara Lyrics Mahashivratri
शिवजी की आरती "ॐ जय शिव ओंकारा" का विशेष रूप से सावन के सोमवार, शिवरात्रि और अन्य शिव पूजा के अवसर पर अत्यधिक लाभकारी माना जाता है। इस आरती के माध्यम से भगवान शिव की असीम शक्ति और उनके परब्रह्म स्वरूप का अनुभव भक्त के मन में होता है, जो उसे मानसिक और आत्मिक शांति की अनुभूति कराता है।
भगवान शिव की यह आरती भक्तों को सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है और उनकी कृपा को आकर्षित करती है। विशेषकर सावन के सोमवार और शिवरात्रि जैसे पवित्र अवसरों पर जब शिवजी की पूजा विधिपूर्वक की जाती है, तो इस आरती का गायन करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
"ॐ जय शिव ओंकारा" में भगवान शिव के विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है, जैसे उनकी भस्म, मुण्डमाला, त्रिशूल, और गंगाजल से जुड़े प्रतीक, जो उनकी अद्भुत और अजेय शक्तियों को दर्शाते हैं। इस आरती के गायन से न केवल भक्तों के दुख दूर होते हैं, बल्कि उन्हें आत्मिक उन्नति और मोक्ष की दिशा में भी मार्गदर्शन मिलता है।
इसलिए सावन के सोमवार और शिवरात्रि के समय इस आरती का गायन अवश्य करें और भगवान शिव की कृपा का आशीर्वाद प्राप्त करें।
भगवान शिव की यह आरती भक्तों को सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है और उनकी कृपा को आकर्षित करती है। विशेषकर सावन के सोमवार और शिवरात्रि जैसे पवित्र अवसरों पर जब शिवजी की पूजा विधिपूर्वक की जाती है, तो इस आरती का गायन करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
"ॐ जय शिव ओंकारा" में भगवान शिव के विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है, जैसे उनकी भस्म, मुण्डमाला, त्रिशूल, और गंगाजल से जुड़े प्रतीक, जो उनकी अद्भुत और अजेय शक्तियों को दर्शाते हैं। इस आरती के गायन से न केवल भक्तों के दुख दूर होते हैं, बल्कि उन्हें आत्मिक उन्नति और मोक्ष की दिशा में भी मार्गदर्शन मिलता है।
इसलिए सावन के सोमवार और शिवरात्रि के समय इस आरती का गायन अवश्य करें और भगवान शिव की कृपा का आशीर्वाद प्राप्त करें।
ॐ जय शिव ओंकारा प्रभु हरी शिव ओंकारा |
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्धांगीधारा ||
ॐ जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा प्रभु हरी शिव ओंकारा |
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्धांगीधारा ||
ॐ जय शिव ओंकारा
एकानन चतुरानन पंचानन राजे
स्वामी पंचानन राजे |
हंसानन गरुड़ासन गरुणासन हंसानन गरुड़ासन गरुणासन
ऋषिवाहन साजे ||
ॐ जय शिव ओंकारा
दू दो भुज चार चतुर्भुज चतरभुज दशभुज दसभुज ते सोहे
स्वामी दशभुज ते सोहे |
तीनो रूप निरखता
तीनो रूप निरखता
त्रिभुवन जन मोहे ||
ॐ जय शिव ओंकारा
अक्षमाला बनमाला मुंडमाला धारी
स्वामी मुंडमाला धारी |
चन्दन मृग मध् सोहे
चन्दन मृग मध् सोहे
भाले शशि धारी ||
ॐ जय शिव ओंकारा
स्वेताम्बर श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे
स्वामी बाघम्बर अंगे |
ब्रम्हादिक् सनकादिक
ब्रम्हादिक् सनकादिक
भूतादिक संगे ||
ॐ जय शिव ओंकारा
कर में श्रेष्ठ कमंडल चक्र त्रिशूल धरता
स्वामी चक्र त्रिशूल धरता |
जग करता जग पालक
जग करता जग पालक
प्रभु तुम जग हर्ता ||
ॐ जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
जानत अविविवेका
स्वामी जानत अविविवेका |
प्रणवाक्षर के मध्ये
प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनो एका ||
ॐ जय शिव ओंकारा
त्रिगुण स्वामी जी की आरती
जो कोई जन गावे
स्वामी जो कोई जन गावे |
कहत शिवानंद स्वामी
कहत शिवानंद स्वामी
मनवांछित फल पावे ||
ॐ जय शिव ओंकारा
ॐ जय शिव ओंकारा प्रभु हरी शिव ओंकारा
प्रभु हरी शिव ओंकारा |
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्धांगीधारा ||
ॐ जय शिव ओंकारा
ॐ जय शिव ओंकारा
ॐ जय शिव ओंकारा प्रभु हरी शिव ओंकारा |
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्धांगीधारा ||
ॐ जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्धांगीधारा ||
ॐ जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा प्रभु हरी शिव ओंकारा |
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्धांगीधारा ||
ॐ जय शिव ओंकारा
एकानन चतुरानन पंचानन राजे
स्वामी पंचानन राजे |
हंसानन गरुड़ासन गरुणासन हंसानन गरुड़ासन गरुणासन
ऋषिवाहन साजे ||
ॐ जय शिव ओंकारा
दू दो भुज चार चतुर्भुज चतरभुज दशभुज दसभुज ते सोहे
स्वामी दशभुज ते सोहे |
तीनो रूप निरखता
तीनो रूप निरखता
त्रिभुवन जन मोहे ||
ॐ जय शिव ओंकारा
अक्षमाला बनमाला मुंडमाला धारी
स्वामी मुंडमाला धारी |
चन्दन मृग मध् सोहे
चन्दन मृग मध् सोहे
भाले शशि धारी ||
ॐ जय शिव ओंकारा
स्वेताम्बर श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे
स्वामी बाघम्बर अंगे |
ब्रम्हादिक् सनकादिक
ब्रम्हादिक् सनकादिक
भूतादिक संगे ||
ॐ जय शिव ओंकारा
कर में श्रेष्ठ कमंडल चक्र त्रिशूल धरता
स्वामी चक्र त्रिशूल धरता |
जग करता जग पालक
जग करता जग पालक
प्रभु तुम जग हर्ता ||
ॐ जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
जानत अविविवेका
स्वामी जानत अविविवेका |
प्रणवाक्षर के मध्ये
प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनो एका ||
ॐ जय शिव ओंकारा
त्रिगुण स्वामी जी की आरती
जो कोई जन गावे
स्वामी जो कोई जन गावे |
कहत शिवानंद स्वामी
कहत शिवानंद स्वामी
मनवांछित फल पावे ||
ॐ जय शिव ओंकारा
ॐ जय शिव ओंकारा प्रभु हरी शिव ओंकारा
प्रभु हरी शिव ओंकारा |
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्धांगीधारा ||
ॐ जय शिव ओंकारा
ॐ जय शिव ओंकारा
ॐ जय शिव ओंकारा प्रभु हरी शिव ओंकारा |
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्धांगीधारा ||
ॐ जय शिव ओंकारा
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Author - Saroj Jangir
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