पँछी काहे होत उदास भजन
पंछी रे, पंछी काहे होत उदास,तू तोड़ न मन की आस, पँछी,
तोड़ न मन की आस, पँछी,
काहे होत उदास, पँछी,
काहे होत उदास,
देख घटाये आयी हैं वो,
एक संदेशा लायी हैं वो,
देख घटाये आयी हैं वो,
देख संदेशा लायी हैं वो,
पिंजरा लेकर उड़ जा पँछी,
जा साजन के पास, पँछी,
काहे होत उदास, पँछी,
काहे होत उदास,
उठ और उठकर आग लगा दे,
फूँक दे पिंजरा, पंख जला दे,
उठ और उठकर आग लगा दे,
फूँक दे पिंजरा, पंख जला दे,
राख बबूला बन कर पंछी,
राख बबूला बन कर तेरी,
पहुँचे उनके पास, पँछी,
काहे होत उदास, पँछी,
काहे होत उदास,
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