ॐ य यज्ञेन यज्ञमयजन्त मंत्र लिरिक्स मंत्रपुष्पांजली लिरिक्स Pushpanjali Mantra Lyrics

ॐ य यज्ञेन यज्ञमयजन्त मंत्र लिरिक्स मंत्रपुष्पांजली लिरिक्स Pushpanjali Mantra Lyrics

 

ॐ यज्ञेन यज्ञमयजंत देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन्|
ते हं नाकं महिमान: सचंत यत्र पूर्वे साध्या: संति देवा:
ॐ राजाधिराजाय प्रसह्ये साहिने | नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे
स मे कामान्कामकामाय मह्यम्| कामेश्वरो वैश्रवणो ददातु|
कुबेराय वैश्रवणाय | महाराजाय नम: ॐ स्वस्ति
साम्राज्यं भौज्यं स्वाराज्यं वैराज्यं पारमेष्ठ्यं राज्यं माहाराज्यमाधिपत्यमयं समंतपर्यायी
स्यात्सार्वभौम: सार्वायु आंतादापरार्धात्पृथिव्यै समुद्रपर्यंता या एकराळिति
तदप्येष श्लोकोऽभिगीतो मरुत: परिवेष्टारो मरुत्तस्यावसन्गृहे
आविक्षितस्य कामप्रेर्विश्वेदेवा: सभासद इति
एकदंतायविद्महे वक्रंतुडाय धीमहि
तन्नोदंती प्रचोदयात्
श्रीशुभं भवतु


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1 टिप्पणी

  1. यह किस वेद से लिया गया है ? वेद की ऋचाएं बिल्कुल शुद्ध होनी चाहिए। वेद से देखकर शुद्ध-शुद्ध लिखा जाय। 🙏🏻