दारुडिया ने अलगो बाल रे भजन

दारुडिया ने अलगो बाल रे राजस्थानी भजन


राम राज में दूध मिलियो,
कृष्णा राज में घी,
इन कलयुग में दारु मिलियो,
वीरा सोच समझ के पी!

दारु पीवे सो अलगो लागे,
भूड़ी आवे वास,
तन को कर दे नास,
मन में भरे निराश,
दारु पीवे सो अलगो लागे,
भूड़ी आवे वास।

सगा-संबंधी आवे,
बैठे-ठाले भाले,
घर में कोणी पूछे,
मुँह फेर सब जावे,
दारु पीवे सो अलगो लागे,
भूड़ी आवे वास।

काम-काज कुछ करे नहीं,
ठेके की ओर धावे,
लंबी-लंबी गाल बजावे,
सब को धोखा खवावे,
दारु पीवे सो अलगो लागे,
भूड़ी आवे वास।

पाँव भरियो पीवे पचे,
मल-मूत्र में पड़े,
थोड़ी पीवे, घणी चढ़े,
गंदे कीचड़ में पड़े,
दारु पीवे सो अलगो लागे,
भूड़ी आवे वास।

घर में भोजन भाव नहीं,
उधारी लावे रोज,
बच्चे भूखे तड़पे,
भीख माँगने को मजबूर,
दारु पीवे सो अलगो लागे,
भूड़ी आवे वास।

🕉 संत महात्मा समझावे,
दारुणी दोष बतावे,
समझ जाओ तो बच जाओ,
जनम सफल हो जावे,
दारु पीवे सो अलगो लागे,
भूड़ी आवे वास।


Darudiya Ne Algo Balo | Rajasthani Lok Geet | Marwadi Video Song 2013

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