रण में कूद पड़ी महाकाली भजन
हो रण में कूद पड़ी, महाँ काली,
काले अस्त्र, काले शास्त्र,
मुंड माल गल डाली,
रण में कूद पड़ी,
जय काली जय काली, महाँ काली माँ,
महिषासुर ने, क्रोध बढ़ाया
उठी देवता, सबको डराया
सेना ले कर, लड़ने आया
माँ ने दृष्टि डाली,
रण में कूद पड़ी,
योगनियों ने, शोर मचाया
भैरों ने, खप्पर भरवाया
तीन वाण, त्रिशूल गदा से
कोई बचा ना खाली,
रण में कूद पड़ी,
मदिरा पी के, माँ पे झपटा
पास सिंह के, आ के रपटा
पूँछ घुमा के, शेर ने पटका
बकने लगा वो, गाली
रण में कूद पड़ी,
नही रुकी, त्रिशूल की माया
क्रोध में काली, माँ ने गिराया
शरमा के फिर वो, उठ नही पाया
देव बजावे ताली,
रण में कूद पड़ी,
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Author - Saroj Jangir
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