रोती थी कभी अँखियाँ हमारी भजन लिरिक्स
रोती थी कभी अँखियाँ हमारी
श्याम ने दी हैं खुशियाँ सारी
रंग लिया है अपने रंग में,
महक रही है ये फुलवारी,
साथी है साथी कन्हैया है मेरी,
नैया का माँझी है, माँझी ये साथी,
जब से शरण में आये हैं हम,
तुमने मिटाये सारे भरम,
आई है बहारें आई हैं,
मस्ती के नज़ारे लायी हैं,
साथी है साथी कन्हैया है मेरी,
नैया का माँझी है, माँझी ये साथी,
क्या क्या बताऊँ क्या क्या किया,
औक़ात से भी ज़्यादा दिया,
चलता है यहाँ जब चलता है,
खोटा भी वो सिक्का चलता है,
नैया का माँझी है, माँझी ये साथी,
भाग्य हमारा इतना बड़ा,
ठाकुर से "मोहित" (लेखक ); रिश्ता जुड़ा,
कृपा है श्याम की कृपा है,
जीवन ये हमारा सुधरा है,
साथी है साथी कन्हैया है मेरी,
नैया का माँझी है, माँझी ये साथी,
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