साँवरे सलोने जैसा यार मिल गया भजन
साँवरे सलोने जैसा, यार मिल गया,
जीवन को जीने का आधार मिल गया,
साँवरे सलोने जैसा, यार मिल गया,
मोती को सीप जैसे नाँव को किनारा,
ऐसा मिला है मुझको श्याम का सहारा,
भटके जैसे राही को एक सार मिल गया,
साँवरे सलोने जैसा, यार मिल गया,
दूर ये सफर है बड़ा चलना कठिन है,
पथ पथरीले सारे सँभलना कठिन है,
अँधेरी डगर पर वो हर बार मिल गया,
साँवरे सलोने जैसा, यार मिल गया,
जीवन की नैयाँ मजधार में पड़ी थी,
बीच भँवर को रोके मुसीबत खड़ी थी,
डूबे एक माँझी को पतवार मिल गया,
साँवरे सलोने जैसा, यार मिल गया,
"धीर"(लेखक-धीरेन्द्र गुप्ता धीर ) क्या छुपा है मन में सब जानता है,
हालात क्या है मेरे पहचानाता है,
मेरे हर बुलावे पे तैयार मिल गया,
साँवरे सलोने जैसा, यार मिल गया,
साँवरे सलोने जैसा, यार मिल गया,
जीवन को जीने का आधार मिल गया,
साँवरे सलोने जैसा, यार मिल गया,
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